कर्नाटक के कद्दावर नेता और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके साथ ही यह चर्चा तेज हो गई कि उनके बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा. बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कुछ नामों को शॉर्टलिस्ट किया है. राज्य के खनन और भूविज्ञान मंत्री मुरुगेश आर निरानी, ​​केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी, राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष के नाम इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में हैं. 

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2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बीजेपी जातिगत समीकरणों को साधने का पूरा प्रयास करेगी.  पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से थे, यह एक बड़ा वोट बैंक है जो आबादी का 16 प्रतिशत है, येदियुरप्पा की जगह किसी अन्य जाति के नेता को मौका देने से इस समुदाय के लोग बीजेपी से नाराज भी हो सकते हैं. 

ये नेता है मुख्यमंत्री की कुर्सी के प्रमुख दावेदार-  

बीएल संतोष

बीएल संतोष, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) हैं. संतोष केमिकल इंजीनियर भी हैं और अपनी प्रशासन चलाने की स्किल्स के लिए जाने जाते है. कर्नाटक के उडुपी के हीराडीका शहर में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे संतोष ने दावणगेरे के बीडीटी कॉलेज में केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उन्होंने 1993 से आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के कार्यकर्ता के रूप में काम किया है. इसके बाद वह बेंगलुरु दक्षिण से सांसद भी चुने गए. 

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प्रहलाद जोशी

प्रहलाद वेंकटेश जोशी (Pralhad Joshi) धारवाड़ से लोकसभा सदस्य हैं. 58 वर्षीय प्रहलाद जोशी, फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय कोयला और संसदीय मामलों के मंत्री हैं. 1992-1994 के दौरान कर्नाटक के ईदगाह मैदान में तिरंगा फहराने के लिए आंदोलन के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जोशी काफी सुर्खियों में आए थे. जोशी को 2012 में बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष भी चुना गया था और उनका चार साल का कार्यकाल रहा.

अगर इन्हें कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो जोशी मुख्यमंत्री बनने वाले हुबली-धारवाड़ क्षेत्र के तीसरे नेता होंगे. पहले जनता दल के एसआर बोम्मई और बीजेपी के जगदीश शेट्टार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 

मुरुगेश निरानी

राज्य कैबिनेट के खनन और भूविज्ञान मंत्री मुरुगेश निरानी को सीएम पद के लिए मुख्य दावेदारों में से एक माना जा रहा है. येदियुरप्पा की ही तरह यह भी लिंगायत समुदाय से ही हैं, साथ ही निरानी ग्रुप के अध्यक्ष हैं जिसमें चीनी और सीमेंट व्यवसाय शामिल हैं. येदियुरप्पा के इस्तीफे से कुछ दिन पहले उन्होंने दिल्ली की यात्रा की और मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश की. हालांकि, जब उनसे पूछा गया, तो 56 वर्षीय मंत्री ने कहा, “मैंने अपने जीवन में कभी किसी पद के लिए पैरवी नहीं की. पार्टी जो जिम्मेदारी देगी मैं उसे निभाऊंगा. सभी चीजों पर विचार करते हुए हमारे राष्ट्रीय नेता सीएम पद के लिए सही व्यक्ति का चयन करेंगे.”

बसवराज एस बोम्मई

61 वर्षीय बसवराज सोमप्पा बोम्मई कर्नाटक के गृह, कानून, संसदीय मामलों और विधानमंडल राज्य मंत्री हैं. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस आर बोम्मई के बेटे, बसवराज मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की है और अपने पिता की पार्टी जनता दल से राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. मुख्यमंत्री पद के लिए उन्हें एक मजबूत दावेदार के रूप में भी देखा जाता है, लेकिन उन्होंने सभी अटकलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मैं फिलहाल किसी भी प्रश्न का उत्तर नहीं देना चाहता.

अरविंद बेलाडी

51 वर्षीय अरविंद बेलाडी लिंगायत समुदाय के नेता हैं, जो मई 2013 से हुबली-धारवाड़ पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के दो बार विधायक रहे हैं. वह एक प्रशिक्षित इंजीनियर हैं और उनके पास बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री भी है.

सीटी रवि

54 वर्षीय सीटी रवि, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे हैं. चिकमगलूर निर्वाचन क्षेत्र से चार बार के विधायक और राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं. रवि ने राजनीति में शुरुआत बीजेपी कर्नाटक युवा मोर्चा (पार्टी यूथ विंग) के अध्यक्ष के रूप में की. बाद में राजनाथ सिंह ने उन्हें पार्टी के राज्य महासचिव के रूप में चुना था.

जगदीश शेट्टार

जगदीश शेट्टार 2012 से 2013 के बीच एक साल के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. शेट्टार भी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं और हुबली-धारवाड़ केंद्रीय निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के सदस्य हैं. जब बीएस येदियुरप्पा ने 2019 में मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला, तो उन्होंने शेट्टार को बड़े और मध्यम उद्योगों के कैबिनेट मंत्री का कार्यभार दिया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य बनने से पहले शेट्टार ने अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के लिए इन नामों के अलावा कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी और उपमुख्यमंत्री सीएन अश्वथ नारायण की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है. 

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