सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया (Sir Mokshagundam Visvesvaraya) का जन्म 15 सितंबर 1860 को एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और बाद में उन्होंने एक सिविल इंजीनियर (Engineer) और राजनीतिज्ञ के रूप में काम किया.

विश्वेश्वरैया ने 12 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया. उन्होंने बैंगलोर के हाई स्कूल में पढ़ाई की और सेंट्रल कॉलेज, बैंगलोर से बीए की डिग्री प्राप्त की. बाद में उन्होंने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे में एलसीई (सिविल इंजीनियरिंग में लाइसेंस प्राप्त) का अध्ययन किया. उन्होंने बॉम्बे के पीडब्ल्यूडी के साथ नौकरी की और बाद में भारतीय सिंचाई आयोग में शामिल हो गए.

यह भी पढ़े: कौन हैं जेफ बेजोस? आंतरिक्ष यात्रा का रचा नया इतिहास

विश्वेश्वरैया ने कई इंजीनियरिंग परियोजनाओं पर काम किया. वह मैसूर में कावेरी नदी पर कृष्णा राजा सागर बांध के निर्माण के लिए जिम्मेदार मुख्य अभियंता थे. उन्होंने स्वचालित वियर वाटर फ्लडगेट की एक प्रणाली का डिजाइन और पेटेंट कराया. इन फाटकों को पहली बार 1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में स्थापित किया गया था. प्रणाली की सफलता के बाद, ग्वालियर में तिगरा बांध और मांड्या/मैसूर में कृष्णा राजा सागर (केआरएस) बांध में इसी तरह के द्वार स्थापित किए गए थे.

यह भी पढ़े: कौन थीं अन्ना मणि?

इसके अलावा, उन्होंने बिहार में गंगा नदी पर मोकामा पुल की स्थापना में भी योगदान दिया था.

विश्वेश्वरैया को बैंगलोर में जयनगर के पूरे क्षेत्र की डिजाइन और योजना बनाने के लिए भी जाना जाता है.

यह भी पढ़े: कौन हैं CK Raulji?

विश्वेश्वरैया 1909 में ब्रिटिश सेवा से रिटायर्ड हुए. उसी वर्ष, उन्हें मैसूर सरकार के मुख्य अभियंता और सचिव के रूप में नियुक्त किया गया. इसके बाद उन्होंने मैसूर, पीडब्ल्यूडी और रेलवे के दीवान के रूप में कार्य किया. 1972 और 55 के बीच, वह टाटा स्टील के निदेशक मंडल के सदस्य थे.

विश्वेश्वरैया को 1955 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.