केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने गुरुवार को बताया कि केरल में जीका वायरस का पहला मामला सामने आया है. केरल में आए पहले मामले में 24 वर्षीय गर्भवती महिला मच्छर से फैलने वाली इस बीमारी की चपेट में आई है. इसके बाद केरल में अब तक जीका वायरस के कुल 14 मामले कन्फर्म हो चुके हैं.
केरल से 19 लोगों के सैंपल पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजे गए थे. इंस्टीट्यूट ने इनमें से 13 सैम्पल ऐसे पाये हैं, जो जीका वायरस से संक्रमित हैं. बता दें कि जीका वायरस मच्छरों से फैलता है. जीका वायरस से संक्रमित होने के लक्षण डेंगू जैसे ही होते हैं जैसे बुखार आना, शरीर पर चकत्ते पड़ना और जोड़ों में दर्द.
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क्या है जीका वायरस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जीका वायरस एक मच्छर जनित फ्लेविवायरस है. यह मुख्य रूप से एडीज मच्छरों (Aedes mosquitoes) से प्रसारित एक वायरस के कारण होता है, जो दिन के दौरान काटता है.
वायरस पहली बार 1947 में युगांडा में बंदरों में पाया गया था और बाद में पांच साल बाद उसी देश में मनुष्यों में. साल 2015-16 में अमेरिका में जीका वायरस को महामारी घोषित किया गया था और अगले साल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जीका वायरस के प्रसार को एक ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल’ घोषित किया.
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जीका वायरस के लक्षण
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) ने कहा कि बहुत से लोग जो वायरस से संक्रमित हैं, उन्हें किसी विशेष लक्षण का अनुभव नहीं हो सकता है. सबसे आम लक्षण बुखार, चकत्ते, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द और लाल आंखें हैं. कुछ लोगों को मलेरिया भी हो जाता है.
हालांकि, यह वायरस घातक नहीं है और अधिकांश लोग अस्पताल में भर्ती हुए बिना भी ठीक हो जाते हैं. जीका, अन्य वायरस की तरह फैलता है. यह मच्छर के काटने, यौन संबंध, गर्भ और खून दान करने से भी फैल सकता है.
अगले कुछ दिनों में केरल में अन्य केस भी पाये जा सकते हैं.
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