उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के कप्पा वेरिएंट (Kappa variant) के दो मामले सामने आए हैं. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तरफ से इस बात की आधिकारिक जानकारी दी गई है.

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में पिछले कुछ दिनों में 109 नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नियमित समीक्षा बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि कोविड-19 का डेल्टा प्लस वेरिएंट 107 नमूनों में पाया गया, जबकि कप्पा वेरिएंट दो नमूनों में पाया गया.

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इसमें कहा गया है, “दोनों प्रकार राज्य के लिए नए नहीं हैं. राज्य में जीनोम अनुक्रमण की सुविधा बढ़ाई जा रही है.” वर्तमान में राज्य में दैनिक सकारात्मकता दर 0.04 प्रतिशत है.

कप्पा वेरिएंट के बारे में पूछे जाने पर, अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि पहले भी इस प्रकार के मामले राज्य में पाए गए थे. उन्होंने कहा, “चिंता की कोई बात नहीं है. यह कोरोना वायरस का एक प्रकार है और इसका इलाज संभव है.” यह पूछे जाने पर कि यह प्रकार किन जिलों में पाया गया, प्रसाद ने ब्योरा नहीं दिया और कहा कि इससे लोगों में डर पैदा होगा.

क्या है कप्पा वेरिएंट?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कप्पा वेरिएंट का पहली बार भारत में अक्टूबर 2020 में पता चला था. इसे B.1.617.1 के रूप में भी जाना जाता है, जबकि डेल्टा वेरिएंट को B.1.617.2 के रूप में जाना जाता है. 

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने अब तक इसे ‘वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न’ के रूप में वर्गीकृत नहीं किया है. यह लांब्‍डा वेरिएंट (Lambda Variant) की तरह ‘वेरिएंट ऑफ़ इंटरेस्ट’ बना हुआ है. लांब्‍डा वेरिएंट दुनिया भर में कम से कम 30 देशों में फैल गया है.