भारत में कई ऐसी जगहें हैं, जिनके बारे में जानकार हर कोई हैरान रह जाता है. यहां का समाज सदियों से चले आ रहे हैं रीती-रिवाजों का पालन करता है. कुछ लोगों के लिए ये केवल रोचक कहानियां होती हैं, तो स्थानीय लोग इन रिवाजों का खूब पालन करते हैं. हिंदू देवता शिव को चित्रित करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति आदियोगी, 112 फीट ऊंची है, जिसका वजन लगभग 500 टन है. कोयंबटूर में मौजूद आदियोगी प्रतिमा को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में पहले ही मान्यता मिल चुकी है. आइए जानते हैं इस मूर्ति की खासियत और यहां की मान्यताएं.

क्यों है स्टेच्यू इतना ऊंचा

ईशा फॉउंडेशन के अनुसार 112 फीट ऊंचा भगवान शिव का ये चेहरा मुक्ति का प्रतीक है और उन 112 मार्गों को दर्शाता है, जिनके मदद से इंसान योग विज्ञान प्राप्त कर सकता है. यह भी माना जाता है कि ऊंचाई 112 चक्रों को दर्शाती है.

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आदियोगी नामक का अर्थ क्या है

स्टेच्यू को आदियोगी के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है पहला योगी. ये बात शायद आपको न पता हो, भगवान शिव ने ही सबसे पहले योग की शुरुआत की थी. दिलचस्प बात तो ये है कि किसी भी ठेकेदार को निर्माण कार्यों में नहीं लगाया गया है.

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कैसे बनाई गई ये मूर्ति

यहां अक्सर सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्पोर्ट एक्टिविटी, डिनर, प्रवचन और अन्य दिलचस्प कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं. अंदर एक पूजा स्थल देखा जा सकता है, जहां ध्यान और जप करने का विकल्प है. इस मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि इसे सीमेंट और कंक्रीट से नहीं बनाया गया है, इसकी कारण से लोग यहां दूर-दूर से आते हैं. ये जगह कोयंबटूर शहर से करीब 30 किमी दूर है. यहां के लिए आप लोकल बस ले सकते हैं या इस स्थान तक पहुंचने के लिए एक प्राइवेट टैक्सी किराए पर कर सकते हैं.

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