Speech on Munshi Premchand in Hindi: हम सभी ने बचपन में महान लेखक मुंशी प्रेमचंद की कहानियां या कवितांए जरूर सुनी होंगी. हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद का कद बहुत ऊंचा है. वे ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने हिन्दी विषय का चेहरा बदल दिया. वह एक ऐसे लेखक थे जिन्होंने समय के साथ बदलाव किया और हिंदी साहित्य को आधुनिक स्वरूप दिया. मुंशी प्रेमचंद ने सरल सहज हिंदी को ऐसा साहित्य प्रदान किया, जिसे लोग कभी नहीं भूल सकते. आज उनकी जयंती पर हम आपके लिए कुछ भाषण पंक्तियां लेकर आए हैं, जिन्हें आप अपने भाषण में शामिल कर उन्हें और आकर्षक बना सकते हैं.
Speech on Munshi Premchand in Hindi
वाराणसी के निकट लमही नामक स्थान पर जन्मे महान लेखक मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को मुंशी अजायब लाल के घर में हुआ था.
मुंशी प्रेमचंद जी को बचपन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था. जब वह छोटे थे तभी उनकी मां की मृत्यु हो गई थी, इसके अलावा उन्हें बचपन से ही आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था.
पढ़ाई में अच्छे होने के कारण कुछ समय बाद उन्हें शिक्षक की नौकरी मिल गई, लेकिन महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन के कारण उन्होंने 1920 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने के बाद उनका रुझान लेखन की ओर हो गया और उन्होंने यहां विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया.
उन्होंने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ जनता को जागरूक करने के साथ-साथ समाज में फैली कई बुराइयों के खिलाफ कई कविताएं, निबंध, कहानियां, उपन्यास आदि भी लिखे.
उन्होंने कई उपन्यास लिखे जैसे निर्मला, गोदान, गबन, कर्मभूमि आदि. इसके अलावा उन्होंने कई नाटक भी लिखे जैसे प्रेम की वेदी, संग्राम आदि. उनकी कहानियों में पंच परमेश्वर, बड़े भाई साहब आदि शामिल हैं.
गुमाली के दौर में मुंशी प्रेमचंद्र जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन किया और समाज को जागरूक किया.
मुंशी प्रेमचंद जी को लोग हमेशा याद रखेंगे. हम सभी को जीवन में कुछ न कुछ करना चाहिए, हमें अपने देश, समाज के लिए कुछ करना चाहिए, ताकि लोग हमें भूल न जाएं, तभी हमारा जीवन वास्तव में सफल हो सकता है.