बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मुहम्मद पर कथित तौर पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने पैगंबर मुहम्मद पर उनकी टिप्पणियों को लेकर उनके खिलाफ चल रहे नौ मामलों में उनकी गिरफ्तारी पर 10 अगस्त तक रोक लगा दी है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा की याचिका पर दिल्‍ली पुलिस, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना आदि को नोटिस जारी कर 10 अगस्‍त तक जवाब मांगा है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने अपने 1 जुलाई के आदेश के बाद नूपुर शर्मा को कथित रूप से मिल रही जान से मारने की धमकिओं का संज्ञान लेते हुए उन्हें प्राथमिकी/शिकायतों में दंडात्मक कार्रवाई से राहत दी है.

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कोर्ट ने कहा कि वह नहीं चाहता था कि नूपुर शर्मा राहत के लिए हर अदालत का दौरा करें. पीठ ने नूपुर शर्मा की याचिका पर केंद्र और दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों को नोटिस जारी किया और 10 अगस्त तक उनकी प्रतिक्रिया मांगी है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को तय की है.

शीर्ष अदालत की इसी पीठ ने 1 जुलाई को पैगंबर के खिलाफ नूपुर शर्मा की विवादास्पद टिप्पणियों के लिए कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणी से उदयपुर में दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है. मौजूदा समय में जो कुछ भी देश में हो रहा है उसकी जिम्मेदार नुपूर शर्मा हैं.

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नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगायी थी कि, उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को उनकी टिप्पणियों के लिए लगातार धमकियां दी जा रही है. शीर्ष अदालत द्वारा उनकी टिप्पणियों की आलोचना करने के बाद उन्हें और मुश्किल झेलनी पड़ रही है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा की टिप्पणियों के लिए कहा था कि, उनकी इन कथनों से देश के सामाजिक सुरक्षा खतरे में पड़ गई है.

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नूपुर शर्मा ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसमें भी जान का डर बताया था. कोर्ट ने नूपुर शर्मा की जान को खतरा की दलील पर कहा था कि, इनको जान का खतरा है या ये समाज के लिए खतरा पैदा कर रही हैं. इनको अपने बयान के लिए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.