Quit India Movement History: ब्रिटिश सरकार के आधीन भारत लगभग 200 सालों तक था और इसको गुलाम बनाकर अंग्रेजों ने भारतीयों पर बहुत अत्याचार किया. भारत में लोग अंग्रेजों की गुलामी कर भी रहे थे लेकिन कुछ लोग ऐसे थे जिन्हें ये मंजूर नहीं था उनमें से एक मनमोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी भी थे जिन्होंने कई आंदोलन किये और अंग्रेजों को अपनी साधारण ताकत का एहसास दिलाया. भारत छोड़ो आंदोलन उनमें से एक था और उन्होंने अपने इस आंदोलन से अंग्रेजों की रूह कंपा दी थी. भारत छोड़ो आंदोलन कब और क्यों शुरू किया गया था चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.

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भारत छोड़ो आंदोलन क्यों हुआ था? (Quit India Movement History)

8 अगस्त 1942 को भारत माता को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए गांधी जी के द्वारा एक आंदोलन छेड़ा गया था. जिसे भारत छोड़ों आंदोलन के नाम से जाना जाता है. इस आंदोलन के साथ ही अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर करने के लिए एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो का भी आरंभ किया गया. इस आंदोलन के शुरू होते ही रेलवे स्‍टेशनों, दूरभाष कार्यालयों, सरकारी भवनों और अन्‍य स्‍थानों पर बड़े स्‍तर पर हिंसा शुरू हो गई. जिसके चलते बड़े स्तर पर तोड़ फोड़ होने के साथ ही कई गंभीर घटनाएं भी सामने आईं. सरकार ने इन गतिविधियों के लिए गांधी जी को जिम्मेदार ठहराया और आंदोलन से संबंधित सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया.

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कैसे पैदा हुई थी ‘करो या मरो’ की क्रांति?

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने ‘करो या मरो’ की शुरुआत अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन से हुई थी. करो या मरो आंदोलन में गांधी और उनके समर्थकों ने यह साफ कर दिया था कि वह युद्ध के प्रयासों का समर्थन तब तक नहीं देंगे, जब तक कि भारत को आजादी नहीं मिल जाती है. आंदोलन समर्थकों ने यह भी साफ कर
दिया था कि यह आंदोलन किसी भी हाल में बंद नहीं होगा. उनके अंदर सिर्फ एक ही धुन सवार हो चुकी थी, करो या मरो. इस आंदोलन ने पूरे देश को संगठित करने का काम किया था. इस आंदोलन ने 1943 के अंत तक पूरे भारत को संगठित करने का काम किया था.

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