प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर भारत विषय पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि, कुछ सालों से हमारी ये कोशिश है कि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में बेड़ियों को तोड़ा जाए. हमारा उद्देश्य है कि भारत में ही उत्पादन बढ़े, नई तकनीक भारत में ही विकसित हो, और प्राइवेट सेक्टर का इस क्षेत्र में अधिकतम विस्तार हो, इसके लिए कई अहम कदम उठाए गए हैं.

पीएम मोदी ने कहा, दशकों से आयुध कारखानों को सरकारी विभागों की तरह ही चलाया जा रहा था. एक सीमित विजन के कारण देश का नुकसान तो हुआ ही, साथ ही वहां काम करने वाले मेहनती, अनुभवी और कुशल श्रमिक वर्ग का भी बहुत नुकसान हुआ.

उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य है नई तकनीक का भारत में ही विकास हो. प्राइवेट सेक्टर का इस विशेष क्षेत्र में अधिक विस्तार हो. इसके लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया में सुधार, लेवल प्लेइंग फील्ड की तैयारी, एक्सपोर्ट प्रक्रिया का सरलीकरण, ऑब्सेट के प्रावधानों में सुधार जैसे अनेक कदम उठाए गए हैं.

अब पहली बार डिफेंस सेक्टर में 74 प्रतिशत तक FDI ऑटोमैटिक रूट से आने का रास्ता खोला जा रहा है. ये नए भारत के आत्मविश्वास का परिणाम है.

पीएम ने कहा, मुझे इस बात की खुशी है कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस कार्य के लिए पूरी तरह से मिशन मोड पर जुटे हुए हैं. उनके इन अथक प्रयासों के कारण अच्छे परिणाम मिलना निश्चित है.

बहुत लंबे समय से देश में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति पर निर्णय नहीं हो पा रहा था, ये निर्णय नए भारत के आत्मविश्वास का प्रतीक है. रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को लेकर हमारा कमिटमेंट सिर्फ बातचीत या कागजों तक ही सीमित नहीं है. इसके कार्यान्वयन के लिए एक के बाद एक कदम उठाये गए हैं.

पीएम मोदी ने कहा, सीडीएस के गठन के बाद सेना के तीनों अंगों में procurement पर समन्वय बेहतर हुआ है. इससे डिफेंस उपकरणों की खरीद को स्केल-अप करने में मदद मिल रही है. आने वाले दिनों में डोमेस्टिक इंडस्ट्री के लिए ऑर्डर्स का साइज भी बढ़ने वाला है.