प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 17 सितंबर 2022 को 72 साल के हो गए. नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को वडनगर में दामोदार दास मूलचंद मोदी और हीराबेन के यहां हुआ था. नरेंद्र मोदी ने अपने मां-बाप की छह संतानों में तीसरे नंबर पर जन्म लिया. मोदी बहुत ही साधारण परिवार से आते हैं और बचपन में वह अपने पिता के साथ वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे. चाय बेचते उस बालक को देखकर कभी किसी के मन में ख्याल भी नहीं आया होगा कि ये लड़का आगे जाकर देश की कमान संभालेगा. लेकिन नरेंद्र ने लक्ष्य के प्रति अपने समर्पण और कड़े परिश्रम से ये साबित कर दिया कि कुछ भी असंभव नहीं. नरेंद्र मोदी पहले 2001 से लेकर 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और फिर देश के प्रधानमंत्री बने. आत्मनिर्भर भारत का नारा देने वाले पीएम मोदी के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों पर एक नजर.

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भारत-पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों की सेवा की

नरेंद्र मोदी को बचपन में नरिया कहकर बुलाया जाता था. उनके पिता की रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान थी. 1965 में जब भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो नरेंद्र करीब 15 साल के थे. उन दिनों वो सुबह ही अपनी टोली के साथ रेलवे स्टेशन पहुंच जाते और वहां से होकर गुजरने वाले सैनिकों की सेवा में जुट जाते थे. इसके बाद 1967 में गुजरात में आई भयंकर बाढ़ के वक्त भी उन्होंने बाढ़ पीड़ितों की मदद की. 

छोटी उम्र में घर छोड़ RSS से जुड़े

छोटी उम्र से ही नरेंद्र मोदी का झुकाव संघ की तरफ था. संघ को लेकर उत्सुकता अधिक बढ़ी तो उन्होंने आठ साल की उम्र में ही शाखा में जाना शुरू कर दिया. 1967 में 17 साल की उम्र में हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने घर छोड़ दिया और अहमदाबाद जाकर RSS की औपचारिक सदस्यता ले ली. इसके बाद से मोदी संघ प्रचारकों के साथ काम में लग गए.

इमरजेंसी में भेष बदलकर संघ प्रचारकों की मदद की

इंदिरा गांधी की सरकार के समय 1975 में जब इमरजेंसी लगाई गई तो नरेंद्र मोदी अपना भेष बदलकर अंडरग्राउंड हो गए थे. उन्होंने इमरजेंसी के दौरान भेष बदलकर ही संघ प्रचारकों की मदद की. 30 वर्ष की उम्र में वह RSS में संभाग प्रचारक बनाए गए.

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लालकृष्ण आडवाणी के सारथी बने

1985 में नरेंद्र राजनीति से जुड़े. संघ ने उन्हें बीजेपी में भेजा. 1990 में जब लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा निकाली तो नरेंद्र मोदी उनके सारथी बने. इसके बाद 1991 में मोदी ने मुरली मनोहर जोशी की कन्याकुमारी से श्रीनगर एकता यात्रा को सफल बनाने का जिम्मा संभाला. ऐसे वह बीजेपी नेताओं की गुडबुक्स में जगह बनाते गए.

1995 में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय सचिव बनाया. अब वह दिल्ली में थे और तीन साल बाद उन्हें संगठन महासचिव बनाया गया. 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनने तक मोदी इसी पद पर बने रहे.

बिना चुनाव लड़े गुजरात के सीएम बने

2001 में गुजरात के भूकंप आया. जान-माल के भारी नुकसान के बीच बीजेपी ने केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को अक्टूबर 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया. मुख्यमंत्री बने मोदी ने इस पद पर आने से पहले अपने जीवन किसी तरह का कोई चुनाव नहीं लड़ा था.

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नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बने अभी पांच महीने ही हुए थे कि गोधरा में धर्म के नाम पर दंगे भड़क गए. उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौरा किया था और मुख्यमंत्री मोदी से राजधर्म निभाने को कहा था. ये भी कहा जाता है कि मोदी को सीएम पद से हटाने की बात चली थी, लेकिन लाल कृष्ण आडवाणी ने उनका बचाव किया था.

दिसंबर 2002 में गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए और मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने दो तिहाई से अधिक का बहुमत हासिल किया. इसके बाद मोदी 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और प्रधानमंत्री बनने के लिए ही इस पद को छोड़ा.

लोकसभा चुनाव जीतकर देश के प्रधानमंत्री बने

नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के चलते सितंबर 2013 में बीजेपी ने उनको 2014 लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किया. उस समय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह ने मोदी का भरपूर समर्थन किया था, बावजूद इसके कि कुछ वरिष्ठ नेता इसके खिलाफ थे. 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 282 सीटों के साथ बहुमत हासिल की.

इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने और बेहतर प्रदर्शन करते हुए 303 सीटें जीतीं. बीजेपी नीत NDA ने इस चुनाव में कुल 353 सीटों पर जीत हासिल करते हुए सरकार बनाई. पीएम मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने.