जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित (Santishree Dhulipudi Pandit) के हिंदू देवी देवताओं को लेकर दिए गए एक बयान से हंगामा मच गया है. उन्होंने कहा कि मानव शास्त्र में देवता ऊंची जाति के नहीं होते हैं. भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति जाति के हो सकते हैं. शांतिश्री धूलिपुड़ी ने एक कार्यक्रम में कहा (Santishree Dhulipudi hindu god statement) कि हिंदू धर्म मात्र एक धर्म नहीं बल्कि जीने का तरीका है, तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं. उन्होंने कहा कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं. इसके अनुसार महिलाऐं अपने ब्राह्मण या कोई और जाति के होने का दावा नहीं कर सकती हैं.

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आलोचना से क्यों डरते हैं हम?

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, जेएनयू कुलपति (JNU Vice Chancellor) शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने सोमवार को डॉ.अंबेडकर व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत ‘डॉ बी आर अंबेडकर के विचार जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड’ विषय पर बात करते हुए कहा कि हिंदू धर्म एक धर्म नहीं है, यह जीवन जीने का एक तरीका है. और अगर यह जीवन जीने का तरीका है तो हम आलोचना से क्यों डरते हैं.

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जातिगत भेदभाव पर कही ये बात

जेएनयू कुलपति ने कहा कि हमारे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों पर पुनर्विचार करें. हमारे यहां आधुनिक भारत का कोई नेता नहीं है जो इतना महान विचारक था. गौतम बुद्ध उन पहले लोगों में से एक थे जिन्होंने हमारे समाज में भेदभाव-जातीय घृणा के खिलाफ हमें जगाया.

हिंदू देवता उच्च जाति के नहीं होते हैं

शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने राजस्थान के नौ साल के बच्चे के साथ हुई जातीय हिंसा पर अपने विचार रखते हुए कहा, “मानवशास्त्र के मुताबिक कोई भी देवता उच्च जाति से नहीं होता है. कोई भी देवता ब्राह्मण नहीं है, न सबसे ऊंचा क्षत्रिय है. उन्होंने कहा कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से ही हो सकते हैं. एक ऐसे देवता जो कब्रिस्तान में बैठते हो, सांप लपेटते हो और बेहद कम कपड़े पहनते हो. मुझे नहीं लगता है कि कोई ब्राह्मण कब्रिस्तान में बैठ सकता है. भगवान जगन्नाथ भी आदिवासी मूल के हैं.”

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सभी महिलाएं हैं शूद्र

अपने संबोधन में शांतिश्री धूलिपुडी पंडित (Santishree Dhulipudi on women’s caste) ने यह भी कहा कि सभी महिलाएं शूद्र हैं. कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है. जाति केवल शादी से है जिसे महिलाएं अपने पति या पिता की जाति से प्राप्त करती हैं.