हमारे देश में सभी धर्म-जाति के लोग रहते हैं. सभी अपने त्योहारों को बड़ी धूम धाम और खुशी के साथ मनाते हैं. देश में त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है. शरदीय नवरात्र खत्म होते ही विजयदशमी का त्योहार देश भर में मनाया जाएगा. आपको बता दें विजयदशमी के त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत होने पर मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को और दिवाली से ठीक 20 दिन पहले दशहरे या विजयदशमी के त्योहार को देश भर में मनाया जाता है. इस वर्ष दशहरे के त्योहार को 15 अक्टूबर (शुक्रवार) के दिन मनाया जाएगा. माना जाता है कि इसी दिन भगवान राम ने अहंकारी रावण का वध करके माता सीता को उसके चंगुल से बचाया था. इस दिन देश के अलग-अलग कोनों में असत्य पर सत्य की जीत के त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है और कई जगहों पर मेलों का आयोजन भी किया जाता है. चलिए देश के कुछ फेमस मेलों से आपको अवगत करवाते हैं.

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मदिकेरी

कर्नाटक के मदिकेरी शहर में दशहरे के त्योहार को 10 दिनों तक 4 बड़े अलग-अलग मंदिरों में मनाया जाता है. उत्सव की तैयारी 3 महीने पहले ही शुरू कर दी जाती है. दशहरे के दिन यहां पर एक विशेष उत्सव (मरियम्मा) की शुरुआत होती है. यहां पर ऐसी मान्यता है कि एक समय पहले इस शहर के लोगों को एक खास तरह की बीमारी ने घेर लिया था. जिसे दूर करने के लिए मदिकेरी के राजा ने देवी मरियम्मा को प्रसन्न करने के लिए इस उत्सव की शुरुआत की थी.

बस्तर

आपकी जानकारी के लिए बता दें छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के दंडकरण्य में भगवान श्री राम अपने 14 वर्ष के दौरान रहे थे. इसी जगह के जगदलपुर में मां दंतेश्वरी मंदिर है. यहां हर वर्ष हजारों की संख्या में आदिवासी दशहरे का त्योहार मनाने आते हैं. बस्तर के लोग 600 सालों से यह त्योहार मनाते आ रहे हैं. इस स्थान पर कभी भी रावण का दहन नहीं किया जाता. आपकी जानकारी के लिए बता दें यहां के आदिवासियों और राजाओं के बीच अच्छा मेलजोल रहा था. यहां के राजा पुरुषोत्तम ने रथ चलाने की प्रथा शुरू की थी. इसी कारण यहां पर रावण दहन की बजाए दशहरे के दिन रथ चलाया जाता है.

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मैसूर

मैसूर में मनाया जाने वाला दशहरे का त्योहार दुनिया भर में फेमस है. यहां विभिन्न-विभिन्न राज्यों से, देशों से लोग आकर त्योहार को मनाना पसंद करते हैं. यहां पर दशहरे के मेले की शुरुआत नवरात्रों से ही प्रारंभ कर दी जाती है. इस मेले में लाखों लोग शिरकत करते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें मैसूर में दशहरे का सबसे पहला मेला 1610 में आयोजित किया गया था. मैसूर का नाम महिषासुर के नाम पर रखा गया था. आपको बता दें इस दिन मैसूर के महल को एक दुल्हन की तरह तैयार किया जाता है, उसको सजाया जाता है और तो और गायन वादन के साथ एक शोभायात्रा भी निकाली जाती है.

कुल्लू

कुल्लू में दशहरे के त्यौहार को 17वीं शताब्दी से मनाया जा रहा है. यहां इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. हिमाचल के कुल्लू में दशहरे को अंतर राष्ट्रीय त्योहार का दर्जा दिया गया है. यहां पर लोग बड़ी तादाद में शिरकत करते हैं. यहां पर लोग अलग-अलग भगवानों की मूर्ति को सिर पर रखकर भगवान राम से मिलने के लिए जाते हैं. यह उत्सव 7 दिनों तक मनाया जाता है.

कोटा

राजस्थान के कोटा शहर में दशहरे के त्योहार का आयोजन 25 दिनों तक लगातार होता है. इस मेले की शुरुआत 125 वर्ष पहले महाराज भीम सिंह द्वितीय के द्वारा की गई थी. यह परंपरा आज तक निभाई जा रही है. इस दिन यहां पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले का दहन किया जाता है. साथ ही भजन कीर्तन और कई प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है. देश भर से लोग यहां आकर प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और मेले का मजा उठाते हैं. यह मेला देशभर में फेमस है.

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