दिल्ली के सिंघू और टिकरी सीमा पर डेरा डाले हुए किसान आज विजय मार्च निकालेंगे. किसानों ने 15 महीने चले आंदोलन को खत्म कर दिया है और अब वह पंजाब और हरियाणा में अपने गांवों को लौट रहे हैं. किसान आंदोलन ने केंद्र को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर किया. आंदोलन खत्म करने के एलान के साथ किसानों ने घर वापसी के लिए 11 और 12 दिसंबर की तारीख तय की थी.

यह पता चला है कि ट्रैक्टरों पर घर जाने वाले किसानों को बधाई देने के लिए रास्तों के किनारे विशेष व्यवस्था की गई है. 

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विजय मार्च की शुरुआत में कल के लिए योजना बनाई गई थी, लेकिन तमिलनाडु में दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना के मद्देनजर इसे स्थगित कर दिया गया था, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत सहित 13 लोगों का निधन हो गया था.

तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद किसानों ने अन्य मांगों का हवाला देते हुए आंदोलन जारी रखा था, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी और विरोध करने वाले किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग शामिल थी. 

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आंदोलन की अगुवाई कर रही संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति को बची हुई मांगों पर केंद्र द्वारा लिखित प्रस्ताव भेजे जाने के बाद ही किसानों ने वापस लौटने के अपने फैसले का ऐलान किया. 

केंद्र MSP के मुद्दे पर फैसला करने के लिए एक समिति बनाने पर सहमत हो गया है. समिति में सरकारी अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ और किसान मोर्चा के प्रतिनिधि शामिल होंगे. सरकार किसानों के खिलाफ सभी पुलिस मामलों को वापस लेने के लिए भी सहमत हो गई है, जिसमें पराली जलाने की शिकायतें और हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों के साथ संघर्ष के बाद दर्ज की गई शिकायतें शामिल हैं.

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