अपनी प्यारी-सी मुस्कुान, अभिनय और चंचल अदाओं से मधुबाला ने सबका दिल जीत लिया था. इतना कि आज वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्हें भुला पाना नामुमकिन है. मधुबाला की बहन मधुर भूषण ने बताया कि वह मधुबाला की बायोपिक लेकर आ रही हैं, लेकिन उनके बहनें नहीं चाहतीं कि ऐसा हो. इसे लेकर उन्होंने Opoyi के लिए खास बातचीत की.

मधुर ने बताया कि हम 11 भाई बहन थे. अब्बा की अच्छी नौकरी थी, लेकिन उनकी नौकरी चली गई और हमारे बुरे दिन शुरू हे गए. गुरबत ने हमें घेर लिया था. तब मजबूरी में आपा को दिल्ली से मुम्बई आना पड़ा. वरना हम तो ऐसे परिवार से हैं जहां फोटो भी नहीं खिंचवा सकते थे. आपा भले ही फिल्म लाइन में थीं, लेकिन हम बहनों ने कभी फिल्मी सेट नहीं देखा था. जब आपा की फिल्म आती थी तो हम बुर्का ओढ़ कर जाते थे. आपा भी बुर्के में ही होती थीं. सच कहूं तो वह मुमताज आपा से मधुबाला बहुत मजबूरी में बनी थीं.

उन्होंने आगे बताया कि आपा (मधुबाला) ने घर के हलातों की वजह से बहुत कम उम्र में काम शुरू कर दिया था. उन्हीं की वजह से हम 10 भाई बहनों का खर्च चलता था.उन्होंने हमारे लिए बहुत किया. अब हमारी बारी है. वह अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मैं चाहती हूं कि उनकी बायोपिक बना कर हम उन्हें एक छोटा-सा नजराना दे सकें. इसके लिए मेरी बड़ी बहनें तैयार नहीं हैं. उन्हें लगता है कि बायोपिक बनेगी तो तमाम बीती बातों का जिक्र होगा. उसमें दिलीप साहब से नाकाम मोहब्बत से लेकर किशोर कुमार भाई से हुई शादी, जो चल ना सकी उसका जिक्र भी होगा. मैं कहती हूं कि यह सब बातें तो पहले से ही सब जानते हैं. इसमें छिपाने जैसा कुछ नहीं है, लेकिन मेरी बड़ी बहनों को समझ नहीं आ रहा है. मैं तो यह जानती हूं कि हम उनकी बायोपिक बनाकर ही उनके नमक का हक अदा कर सकते हैं.

उन्होंने आगे बताया कि मैंने खुद को तो बदल लिया है, लेकिन मेरी बहनें आज भी पुराने ख्यालात की हैं. एक बहन 93 साल की हैं, एक 90 की और एक बहन 88 साल की उम्र में हैं. इतनी उम्र में उनके ख्यालातों को बदलना बहुत मुश्किल काम है, लेकिन मैं अपनी आखिरी सांस तक आपा की बायोपिक बनाने के लिए काम करूंगी. मेरे दोस्त अरविंद कुमार मालवीय मेरी हर तरह से मदद कर रहे हैं. पैसे भी उन्हीं के होंगे, बस मेरी बहनों का रजामंदी मिलना जरूरी है.

बता दें कि मधुबाला की छोटी बहन मधुर भूषण की लिखी किताब फरवरी में रिलीज़ होगी. 14 फरवरी को मधुबाला का जन्मदिन है, इस किताब में मधुर ने मधुबाला और अपने अब्बा के बारे में बात की है.