बॉलीवुड ने कई सितारों को रातों रात चमका दिया तो किसी को पलक झपकते ही जमीन पर ला दिया. ऐसे में हम बात करेंगे आशिकी मूवी की एक्ट्रेस अनु अग्रवाल के बारे में और जानेंगे उनकी जिंदगी से जुड़े वो किस्से जो शायद ही आपको पता होंगे.आज हम आपको बताएंगे कि ऐसा क्या हुआ की आशिकी जैसी हिट फिल्म करने के बावजूद अनु फिल्म इंडस्ट्री से अब क्यों दूर हैं और क्या कर रही हैं. आइए जानते है अनु के बारे में.

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अनु का फिल्मों में एक्टिंग करने का कोई मन नहीं था. वो तो शुरू से ही बास्केटबॉल में इंटरेस्ट रखती थीं. अनु ने अपनी पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से की थी और साथ ही वो सोशियोलॉजी में गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी हैं. अनु सिर्फ शौक की वजह से एक्टिंग करती थीं इसलिए कुछ थिएटर्स में भी उन्होंने काम किया. कॉलेज खत्म होने के बाद अनु ने मॉडलिंग करना शुरू कर दिया इसी दौरान साल 1988 में उन्हे दूरदर्शन का शो ‘इसी बहाने’ में रोल का ऑफर आया. इस सीरियल के बाद अनु मुंबई आ गईं और फिर उनकी जिंदगी में वो मोड़ आया जिसने उनको एक पॉपुलर स्टार बना दिया. फिल्म आशिकी से अनु ने अपना डेब्यू किया. इस फिल्म में अनु के अपोजिट एक्टर राहुल रॉय मुख्य भूमिका में थे. ये फिल्म उम्मीद से ज्यादा सुपरहिट हुई और फिल्म के गाने भी हर किसी के जुबान पर थे. इस फिल्म ने रातों रात अनु और राहुल को स्टार बना दिया. इस फिल्म के बाद उन्होंने साल 1992 में गजब तमाशा नाम की फिल्म की. उन्होंने कई फिल्में की जो कुछ फ्लॉप तो कुछ हिट हुई. 

अनु की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से मीडिया में उन्हें लेकर काफी खबरें आने लगी जिसे देख अनु भी तंग आ गई थी. फिर 1994 में उनकी एक शॉर्ट फिल्म आई The Cloud Door इस फिल्म को करने के बाद उन्हें और ज्यादा पसंद किया जाने लगा. अनु की आखिरी फिल्म साल 1996 में आई थी फिल्म का नाम था रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ. इस फिल्म को करने के बाद अनु का मन फिल्मों से उठ चुका था तो उन्होंने फिल्मी सफर छोड़ भक्ति और योग का नया सफर शुरू किया.

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सब कुछ सही चल रहा था. अनु अपनी जिंदगी में खुश थीं पर उनकी ये खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी. साल 1999 में मुंबई के चौपाटी के पास एक गाड़ी ने अपना बैलेंस खो दिया और बहुत बुरा एक्सीडेंट हुआ. इस गाड़ी में अनु थीं. इस एक्सीडेंट की वजह से अनु को बहुत फ्रैक्चर्स आए और चेहरे का बया हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया. एक्सीडेंट के बाद अनु की याददाश्त भी चली गई थी. उन्हे कुछ भी याद नहीं था इलाज के बाद वह 29 दिन तक कोमा में रहीं जिसे देख डॉक्टर्स ने भी कहा कि अब अनु ज्यादा देर तक नहीं जी पाएंगी. ज्यादा से ज्यादा बस 3 साल और जी पाएंगी. अनु ने अपनी बुक ‘अनयूजुअल’ में इस घटना के बारे में बताया. अनु ने बताया कि कई घंटे वह रिहैब सेंटर में बिताती ताकि उनकी बॉडी सही से फंक्शन कर सके और योग का भी सहारा लिया.

तीन साल बाद वो पूरी तरह से ठीक हो गईं. ठीक होने के बाद उन्हे ये एहसास हुआ कि उनका दोबारा जन्म हुआ है क्योंकि इतने बड़े एक्सीडेंट के बाद जिंदा रहना संभव नहीं था. इसलिए उन्होंने फैसला किया जिस योग की वजह से वो आज जिंदा है उसे वो बच्चो तक भी लेकर जाएंगी. शुरुआत में उन्होंने मुंबई के झुग्गियों के बच्चों को योग सिखाया और अपनी संस्था के जरिए बच्चों को योग के बारे में बताया.

बता दें, अनु अब विदेशों में मेंटल हेल्थ और योग पर स्पीच देती हैं. उनका अनु अग्रवाल फाउंडेशन विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर बच्चों के लिए काम कर रहा है. अनु मानती हैं कि वो दुनिया नहीं बदल रही बस वही कर रही हैं जो वो कर सकती हैं.

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