भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को रेपो रेट (repo rate) और रिवर्स रेपो रेट में एक बार फिर से कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो दर चार प्रतिशत ही बरकरार रहेगी. इसका अर्थ है कि कर्ज चुकाने वालों की मासिक किस्त में कोई बदलाव नहीं होगा. साथ ही रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 प्रतिशत बनी रहेगी.

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने इस दौरान माना की अर्थव्यवस्था के सामने नई और बड़ी चुनौतियां हैं. इसके साथ ही आरबीआई ने अनुमानित जीडीपी दर भी घटाकर 7.8 प्रतिशत से 7.2 प्रतिशत कर दी है.

इससे पहले महंगाई भी 4.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान था लेकिन इसे बढ़ाकर अब वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 5.7 फ़ीसदी कर दिया गया है.

यह लगातार 11वीं बार है जब RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी.

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उन्होंने कहा कि दो साल बाद अब देश महामारी की स्थिति से निकल रहा था, तो 24 फरवरी को यूरोप में छिड़े युद्ध और इसकी वजह से लगे प्रतिबंध और जमीन को लेकर बढ़ते तनाव के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल देखने को मिल रही है.

रेपो रेट वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत में RBI) वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है.

चालू वित्त वर्ष 2022-23 में ये मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक है. इससे पहले की 10 बैठकों में समिति ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट यानी की नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को रेपो रेट में कटौती की थी, तब से यह 4 प्रतिशत के अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर कायम है.

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