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Adani Group के कर्ज पर क्रेडिटसाइट्स की रिपोर्ट जान लीजिए, दी चेतावनी

क्रेडिटसाइट्स की जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है, स्थिति बिगड़ने पर अधिक महत्वाकांक्षी ऋण-वित्त पोषित विकास योजनाएं अंततः एक बड़े कर्ज जाल में बदल सकती हैं और संभवतः समूह की एक या एक से अधिक कंपनियों के लिये संकटपूर्ण या चूक की स्थिति पैदा हो सकती है.

Written by:Sandip
Published: August 24, 2022 08:12:14 New Delhi, Delhi, India

गौतम अडाणी (Gautam Adani) के बंदरगाह से लेकर सीमेंट समेत विभिन्न कारोबार से जुड़े समूह ने ‘काफी ज्यादा’ कर्ज लिया हुआ है. समूह द्वारा इस ऋण का उपयोग मुख्य रूप से मौजूदा के साथ-साथ नये कारोबार में आक्रामक तरीके से निवेश करने के लिए किया जा रहा है. फिच समूह की इकाई क्रेडिटसाइट्स (creditsites) की जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. क्रेडिटसाइट्स ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘स्थिति बिगड़ने पर अधिक महत्वाकांक्षी ऋण-वित्त पोषित विकास योजनाएं अंततः एक बड़े कर्ज जाल में बदल सकती हैं और संभवतः समूह की एक या एक से अधिक कंपनियों के लिये संकटपूर्ण या चूक की स्थिति पैदा हो सकती है.’’

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अडाणी समूह ने 1980 के दशक में जिंस कारोबारी के रूप में काम शुरू किया. और बाद में खान, बंदरगाह और बिजली संयंत्र, हवाईअड्डा, डेटा सेंटर तथा रक्षा जैसे क्षेत्रों में कदम रखा.

हाल ही में समूह ने होल्सिम की भारतीय इकाइयों का 10.5 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर सीमेंट क्षेत्र के साथ एल्युमिना विनिर्माण में कदम रखा.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘अडाणी समूह ने पिछले कुछ साल में आक्रामक विस्तार योजना अपनाई है. इससे कर्ज और नकदी प्रवाह पर दबाव पड़ा है.’’

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क्रेडिटसाइट्स ने कहा, ‘‘अडाणी समूह तेजी से नये और अलग-अलग कारोबार में कदम रख रहा है, जो अत्यधिक पूंजी गहन हैं. इससे निगरानी के स्तर पर क्रियान्वयन को लेकर जोखिम बढ़ा है.’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह की कंपनियों में प्रवर्तक इक्विटी पूंजी डाले जाने का पक्का सबूत है लेकिन अडाणी समूह में पर्यावरणीय, सामाजिक और संचालन (ईएसजी) के स्तर पर कुछ जोखिम भी है.

इसमें कहा गया है कि अडाणी समूह के पास अडाणी एंटरप्राइजेज के माध्यम से मजबूती के साथ कंपनियों के संचालन का एक मजबूत ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ है. साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के बेहतर तरीके से कामकाज से संबंधित बुनियादी ढांचे का एक पोर्टफोलियो भी है.

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अडाणी समूह की घरेलू शेयर बाजार में छह सूचीबद्ध कंपनियां हैं और इसके समूह की कुछ संस्थाओं के पास अमेरिकी डॉलर बॉन्ड को लेकर बकाया भी है.

समूह की इन छह सूचीबद्ध कंपनियों के ऊपर 2021-22 में 2,309 अरब रुपये का कर्ज था. समूह के पास उपलब्ध नकदी को निकालने के बाद शुद्ध रूप से कर्ज 1,729 अरब रुपये बैठता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘सामान्य रूप से समूह मौजूदा और नई इकाइयों में आक्रामक तरीके से निवेश कर रहा है. निवेश का वित्तपोषण मुख्य रूप से कर्ज के जरिये किया जा रहा है. इससे कर्ज बढ़ने के साथ आय प्रवाह/ कर्ज अनुपात ऊंचा हुआ है.

क्रेडिटसाइट्स ने कहा कि इससे पूरे समूह के बारे में चिंता उत्पन्न हुई है. उसने कहा कि समूह मुख्य रूप से कर्ज के आधार पर जिस तरीके से आक्रामक रूप से विस्तार कर रहा है, वह सतर्कता के साथ उसपर नजर रखे हुए हैं.

रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा समूह के बाद अडाणी समूह देश में तीसरा सबसे बड़ा उद्योग समूह है. इसका कुल बाजार पूंजीकरण 200 अरब डॉलर से अधिक है.

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हाल के समय में अडाणी समूह ने तेजी से अपने मौजूदा कारोबार का विस्तार करने के साथ नये क्षेत्रों में भी कदम रखा है.

रिपोर्ट में समूह के उन क्षेत्रों में विस्तार का जिक्र किया गया है, जहां उसका पहले से अनुभव या विशेषज्ञता नहीं है. इसमें तांबा रिफाइनिंग, पेट्रोरसायन, दूरसंचार और एल्युमीनियम उत्पादन शामिल हैं. यह मानते हुए कि नयी कारोबारी इकाइयां कुछ साल लाभ नहीं कमा पातीं, ऐसे में उनमें आमतौर पर ऋण को तुरंत चुकाने की क्षमता नहीं होती है.

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