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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

Pitru Paksha 2022: इस तारीख से शुरू हो रहे हैं पितृपक्ष, संंबंधित नियमों के बारे जानें

  • श्राद्ध के 15 दिनों में आप पितरों का तर्पण कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है
  • श्राद्ध के दिनों में पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है
  • इन दिनों में गाय, कुत्ते और कौवे को लगातार भोजन खिलाना चाहिए

Written by:Ashis
Published: September 02, 2022 11:23:05 New Delhi, Delhi, India

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से अमावस्या (Amavasya) तक 15 दिनों का पूरा पखवाड़ा पितृपक्ष (Pitru Paksha) कहलाता है. पुराणों के अनुसार, पितृपक्ष (Pitru Paksha 2022) के दौरान परलोक सिधार गए पूर्वज (Ancestors) पृथ्वी पर अपने परिवार (Family) के लोगों से मिलने के लिए आते हैं. ऐसे में अपने पितरों का आशीर्वाद (Ancestors Blessings) पाने के लिए पितृ पक्ष में तर्पण, पिंडदान अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने से हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस बार पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक चलेंगे. पितृ पक्ष की अवधि पितृ दोष (Pitra Dosh) से निजात पाने के लिए भी उत्तम मानी जाती है. वैसे तो सभी इन दिनों में अपने-अपने पितरों का तर्पण करते हैं, लेकिन जो नहीं करते , उन्हें इन बातों का ज्ञान जरूर होना चाहिए.

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पितृपक्ष को लेकर क्या है मान्यता?

जैसी की मान्यता है कि पितृ पक्ष के दिनों में पितरों का आशीर्वाद (Ancestors Blessings) पाने के लिए पितृ पक्ष में तर्पण, पिंडदान अवश्य करना चाहिए. इससे पितर देवों के साथ-साथ आने वाले अन्य देवतागण भी प्रसन्न होते हैं और हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. पितृपक्ष में ब्रह्मणों को कराए गए भोजन दान-धर्म के कार्यों से पूर्वजों की आत्मा प्रसन्न होती है और उन्हें शांति मिलती है, साथ ही पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है. इन दिनों रोजाना उन्हें जल दिया जाता है और उनका ध्यान और उनसे प्रार्थना करने का प्रावधान भी है.

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तर्पण करने के लिए उचित समय

विशेषज्ञों की मानें, तो जिस तिथि को पितरों की मृत्यु हुई हो, उस तिथि को उनके नाम से श्रद्धा व यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. इसके साथ ही गाय और कुत्तों को भी भोजन खिलाए जाने की परंपरा होती है. पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. इस दिन भूले बिसरे, अज्ञात पितरों सभी का श्राद्ध किया जाता है. वैसे तो कहा जाता है जिस पितर की मृत्यु जिस दिन हुई हो, उसी दिन उनका श्राद्ध करना उचित होता है, लेकिन घर की माता, दादी का श्राद्ध नवमी के दिन किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, नवमी तिथि सौभाग्यशाली मानी गई है. ऐसे में मां या दादी का निधन किसी भी तिथि में हुआ हो, लेकिन उनका श्राद्ध नवमी को ही किया जाना चाहिए.

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पता होना है जरूरी

कई बार कुछ लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है. जिसके कारण उन्हें बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ता है. उसे दूर करने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे अच्छा माना जाता है. इन दिनों पितरों को खुश करने के लिए और उनका आर्शीवाद पाने के लिए कई तरह के विशिष्ट पूजा पाठ करने का प्रावधान भी है. जिनके बारे में जानना बहुत जरूरी है और हो सके तो उन्हें करना भी चाहिए. इससे आपको लाभ प्राप्त होगा.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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