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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

Happy Gowri Ganesha festival wishes: गौरी-गणेश हब्बा पर अपनों को ऐसे भेजें शुभकामनाएं

  • गौरी हब्बा पर्व को दक्षिण भारत में गौरी हब्बा के नाम से मनाया जाता है.
  • गौरी हब्बा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में मनाया जाता है.
  • गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले किया जाता है गौरी पूजन.

Written by:Akashdeep
Published: August 30, 2022 05:56:00 New Delhi, Delhi, India

गणेश चतुर्थी (Ganesha Chaturthi) से एक दिन पहले मनाया जाने वाला गौरी हब्बा (Gowri Habba) दक्षिणी भारतीय राज्यों में एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है. ये त्यौहार देवी पार्वती (Gowri Ganesha) को समर्पित है. इस विशेष अवसर को गौरी गणेश की शुभकामनाओं और भगवान गणेश के आशीर्वाद उद्धरण के साथ मनाएं. अपने परिवार और दोस्तों को हैप्पी गणेश चतुर्थी और गौरी गणेश पर्व की शुभकामनाएं भेजें. 

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कन्नड में लोग ‘गौरी गणेश हब्बादा शुभशायगलु’ (Gowri Ganesha Habbada Shubhashayagalu) कहकर इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं, जिसका मतलब होता है- गौरी गणेश महोत्सव की शुभकामनाएं.

गौरी हब्बा भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है. गौरी हब्बा के दिन महिलाएं स्वर्ण गौरी व्रत (Swarn Gouri Vrat) करती हैं. माता गौरी यानी माता पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए महिलाएं व्रत और पूजन करके अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी पार्वती कैलाश से पृथ्वी पर अपने माता-पिता के घर आती हैं.  

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गौरी हब्बा (Gauri Habba) का पर्व गणेश महोत्सव से एक दिन पहले मनाया जाता है. मान्यता है कि माता पार्वती इस दिन सुहागिन महिलाओं को जहां पति की लंबी आयु का वरदान देती हैं तो वहीं अविवाहित कन्याओं को इच्छित वर मिलने का वरदान प्रदान करती हैं. चतुर्थी तिथि को माता पार्वती ने अपने शरीर पर लगे मैल से भगवान श्री गणेश का शरीर बनाकर उसमें जान डाली थी. इसलिये गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले माता पार्वती की आराधना का यह पर्व गौरी हब्बा मनाया जाता है.

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 गौरी गणेश पर्व की शुभकामनाएं। 

गणेश उत्सव के एक दिन पहले स्वर्ण गौरी व्रत रखने के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस पूजा में माता पार्वती की पूजा कर अनाज के कुठले (टंकी) पर प्रतिमा की स्थापना की जाती है. फिर आम या केले के पत्तों से इस प्रतिमा के ऊपर पंडाल का बनाया जाता है और माता पार्वती की आराधना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि विधि-विधान और सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर वहां भगवान गणेश जी जरुर पधारते हैं और घर में सुख-शांति, धन-धान्य व संपन्नता का वरदान देते हैं.

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पूजा की शुरुआत श्री गणेश के पूजन से की जाती है. भगवान गणेश को सर्वप्रथम स्नान कराएं, वस्त्र, गंध, पुष्प, अक्षत अर्पित करें. अब देवी पार्वती का पूजन शुरू करें. देवी पार्वती की मूर्ति भगवान शिव के बायीं और स्थापित करना चाहिए. मूर्ति में देवी पार्वती का आवाहन करें. अब देवी पार्वती को अपने घर में आसन दें और फिर माता को पहले जल से फिर पंचामृत से और वापिस जल से स्नान कराएं.

अब देवी पार्वती को वस्त्र अर्पित करें और आभूषण पुष्पमाला आदि पहनाएं. माता गौरी को  सुगंधित इत्र अर्पित करें और उनका तिलक करें. देवी पार्वती को धूप, दीप, फूल और चावल अर्पित करें. इसके बाद घी या तेल का दीपक लगाएं और गौरी माता की आरती करें. आरती के पश्चात् परिक्रमा करें और नेवैद्य अर्पित करें. देवी पार्वती पूजन के दौरन ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ या ’’ऊँ पार्वत्यै नमः’’ इस मंत्र का जप करते रहें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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