Bhai Dooj 2022: भाई दूज (Bhai Dooj) भाई बहनों का त्योहार होता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक कर मौली बांधती हैं, और उन्हें नारियल का गोला भेंट करती हैं. बहनें इस दिन अपने भाई की लंबी आयु, अच्छी सेहत और तरक्की की कामना करती हैं. इस दिन भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वादा करते हैं. इस त्योहार को पश्चिम बंगाल में भाई फोटा, महाराष्ट्र में भाऊ बीज और दक्षिण भारत में यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है कि भाई दूज के दिन यदि भाई यमुना नदी में स्नान करता है तो उसकी यम के प्रकोप से रक्षा होती है. भाई दूज पर यम और यमुना की कथा भी प्रचलित है. इस दिन भाई को नारियल का गोला देने का रिवाज होता है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस दिन नारियल का गोला क्यों दिया जाता है. नहीं, तो चलिए हम आपको बताते हैं इसके बारे में.

यह भी पढ़ें: Bhai Dooj Special: भाई दूज और रक्षाबंधन में क्या अंतर है?

भाई दूज पर नारियल का गोला दिए जाने की कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक यम (यमराज) और यमुना भगवान सूर्य और छाया के संतान थे. दोनों भाई-बहन यम और यमुना में आपस में बहुत प्यार था. कभी कभी ऐसा होता था कि यमराज अपने काम में इतने व्यस्त रहते थे कि उनको यमुना के पास जाने का और उससे मिलने का समय ही नहीं मिलता था. इसलिए यमुना अपने भाई यम से नाराज हो गईं.  एक दिन यमराज अचानक अपनी बहन यमुना से मिलने चले गए. भाई को अचानक सामने देख यमुना बहुत खुश हो गईं. कहा जाता है उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी.

यह भी पढ़ें:  Bhai Dooj 2022: 26 या 27 अक्टूबर? जानें क्या है भाई दूज मनाने की सही तारीख

यमुना ने भाई यम का खूब सेवा सत्कार किया. जिसके बाद  विदा लेते समय बहन ने यम को एक गोला भेंट किया. इसपर यमराज ने पूछा कि ये क्यों? तो यमुना ने जवाब देते हुए कहा कि यह गोला आपको मेरी याद दिलाता रहेगा. इसके बाद यमुना ने अपने भाई यम से वचन लिया कि चाहे आप कितना भी व्यस्त क्यों न हो, लेकिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया भैया दूज को आप अवश्य मिलने आओगे.

यह भी पढ़ें:  भाई दूज पर गोवर्धन कूटने की परंपरा कहां की है? जानें इसकी मान्यता भी

यमराज ने इस बात पर अपनी बहन यमुना को वादा किया कि वो ऐसा जरूर करेंगे. बस तभी से इस दिन भैया दूज मनाने की मान्यता है. इस दिन भाई अपनी विवाहित बहन के यहां टीका कराने जाते हैं, और बहन अपने भाई को तिलक कर गोला भेंट करती है. इस दिन यमुना में स्नान करने की भी परंपरा है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)