शनिदेव (Shani Dev) की वक्री चाल को उल्टी या टेढ़ी चाल भी कहा जाता है. क्या आपको मालूम है शनि की टेढ़ी चाल के पीछे की भी एक कहानी है. दरअसल शनि एक श्राप की वजह से टेढ़ी चाल चलते हैं. अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि शनिदेव की टेढ़ी चाल का श्राप किसने और क्यों दिया था.

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आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, शनिदेव (Shani Dev) की मां संध्या ने उन्हें पैर टूट जाने का श्राप दिया था, लेकिन शनिदेव के पिता सूर्यदेव ने इस श्राप का प्रायश्चित बताकर उन्हें बचा लिया था. तब से ही कहते हैं कि शनिदेव के पैरों में दोष है जिसकी वजह से वह टेढ़ी चाल चलते हैं. ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव की चाल इसी वजह से धीमी है और वह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में सबसे ज्यादा समय लेते हैं.

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शनिदेव (Shani Dev) भगवान सूर्य के पुत्र हैं, लेकिन सूर्यदेव की पत्नी और शनि की मां छाया सूर्य का तेज नहीं सह पाती है इसलिए वह अपनी जुड़वां संध्या का निर्माण करती है और फिर मायके चली जाती है. इस हिदायत के साथ कि संध्या कभी भी सूर्यदेव को सत्य का पता नहीं चलने देगी, लेकिन संध्या शनिदेव से ज्यादा अपनी संतान का ध्यान रखती हैं.

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एक दिन शनिदेव (Shani Dev) को बहुत तेज भूख लगी और उन्होंने मां संध्या से खाना मांगा. इस पर मां संध्या ने भोजन में देरी बताकर प्रतीक्षा करने को कहा. ये सुनकर शनिदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी मां पर पैर से प्रहार कर दिया. इसके बाद मां संध्या ने शनिदेव को उनके पैर टूट जाने का श्राप दे डाला.

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पैर टूटने के श्राप से शनिदेव (Shani Dev) को बहुत पीड़ा हुई और उन्होंने दर्द में अपने पिता सूर्यदेव को पुकारा और उन्हें श्राप के बारे में बताया. इसके बाद सूर्यदेव ने शनिदेव के पैर को टूटने से तो बचा लिया, लेकिन अपनी शक्तियों से उनके पैर को पूरी तरह से ठीक न कर सके. तब से ही शनि के पैरों में त्रुटि है और वह टेढ़ी चाल चलते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)