Pradosh Vrat September 2023: हिंदू धर्म में हर व्रत-त्योहार हिंदू पंचांग या कैलेंडर के अनुसार पड़ते हैं. उसी हिसाब से हर साल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं और महीने में दो व्रत रखे जाते हैं. हर माह में दो पक्ष होते हैं जिसके नाम कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष हैं. दोनों पक्षों में प्रदोष व्रत द्वादशी और त्रयोदशी तिथि के बीच में पड़ते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है और उनकी विधिवत पूजा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है. सितंबर 2023 के महीने में प्रदोष व्रत कब-कब पड़ने हैं इसके बारे में आपको दिन, तारीख और समय की सही जानकारी हम यहां पर देंगे.

यह भी पढे़ं: Aja Ekadashi Puja Vidhi: इस विधि से करेंगे अजा एकादशी की पूजा तो मिल जाएगा खोया धन! जानें कैसे

सितंबर में प्रदोष व्रत कब-कब है? (Pradosh Vrat September 2023)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष द्वार चंद्र माह के 13वें दिन (त्रयोदशी) तिथि को मनाया जाता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की विधिवत पूजा करने से समस्त पापों का नष्ट होता है और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. अगर आप भी प्रदोष व्रत रखते हैं तो सितंबर 2023 में में किस किस दिन प्रदोष व्रत होगा चलिए बताते हैं.

सितंबर का पहला प्रदोष व्रत: 12 सितंबर 2023 दिन मंगलवार को सितंबर महीने यानी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार, 11 सितंबर दिन सोमवार कीरात 11.52 बजे से प्रदोष तिथि प्रारंभ है जो 13 सितंबर दिन बुधवार की सुबह 2.21 बजे तक मान्य होगी. उदयातिथि के अनुसार, भाद्रपद का भौम प्रदोष व्रत 12 सितंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा.

सितंबर का दूसरा प्रदोष व्रत: 27 सितंबर 2023 दिन बुधवार को सितंबर महीने यानी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष का व्रत रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार, 26 सितंबर दिन मंगलवार की रात 11 बजे से प्रदोष तिथि प्रारंभ होगी जो 28 सितंबर दिन गुरुवार की सुबह तक रहेगा. 27 सितंबर दिन बुधवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा.

कैसे करें प्रदोष व्रत की पूजा? (Pradosh Puja Vidhi)

हर प्रदोष व्रत की पूजा विधि एक समान होती है. इस दिन गंगा स्नान करें या पानी में गंगाजल डालकर घर पर ही स्नान कर लें. इसके बाद सफेद वस्त्र धारण करें और शंकर भगवान की प्रतीमा के सामने अपने व्रत का संकल्प लें. इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और एक चौकी पर साफ लाल रंग का कपड़ा बिछा लें. उसपर भगवान विष्णु और माता पार्वती की साथ वाली तस्वीर रखें. पूजा में फूल, फल, भांग, धतूरा, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, दीपक, धूपबत्ती और मिठाई शामिल करें. अब शिव चालिसा, शिव ताड़व और शिव स्त्रोत का पाठ करें. इसके बाद प्रदोष व्रत कथा पढ़ें और आरती करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

यह भी पढ़ें: Aja Ekadashi Vrat Katha: क्या है अजा एकादशी व्रत कथा? यहां जानें पूजा विधि और महत्व भी