Pind Daan Places: श्राद्ध (Shradh) पक्ष एक ऐसा महीना होता है जो पूरी तरह से पूर्वजों को समर्पित होता है. महाभारत और पद्मपुराण सहित अन्य हिन्दू (Hindu) ग्रंथों में कहा गया है कि जो व्यक्ति पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों की क्षमता के अनुसार श्राद्ध करता है. उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है. परिवार में शांति रहती है. व्यापार और आजीविका में प्रगति होती है. साथ ही जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों की शांति के लिए देश भर से लोग बिहार के बोधगया में पिंडदान (Pind Daan) करने के लिए जाते हैं. बोधगया के अतिरिक्त देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां पिंडदान किया जाता है.

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1.गया  (Gaya)

पिंड दान गया में करने का अधिक महत्व है. माना जाता है कि गया में माता सीता ने राजा दशरथ के पिंडदान किए थे. हिन्दू मान्यता के मुताबिक, सीता जी ने अकेले पिंडदान किए, लेकिन राम और लक्ष्मण ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया. विश्वास दिलाने के लिए मां सीता ने सरस्वती नदी से पूछा जब उसने कोई जबाव नहीं दिया तो सीता जी ने नदी को लुप्त होने का श्राप दे दिया. बता दें कि भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति गया में ही हुई थी. इसी वजह से इस जगह को बोधगया कहा जाता है.

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2.वाराणसी (Varanasi)

मोक्ष की नगरी वाराणसी को माना जाता है. वाराणसी में पिंड दान की पूजा विधि पूर्वक तरीके से की जाती है. यहां पंडित हवन और अनुष्ठान के साथ-साथ पिंडदान करवाते हैं. वाराणसी में पूजा के बाद आप बाबा विश्वनाथ के दर्शन अवश्य करें.

3.हरिद्वार (Haridwar)

एक पवित्र नगर और हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है हरिद्वार. यहां गंगा नदी किनारे पितरों का तर्पण किया जाता है. हरिद्वार में पंडित लोग पितरों की मोक्ष प्राप्ति की पूजा विधिपूर्वक तरीके से करवाते हैं. पिंडदान करने के बाद आप मंदिरों के दर्शन और गंगा किनारे आरती कर सकते हैं.

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4.उज्जैन (Ujjain)

पितर पक्ष में उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे पिंडदान करवाया जाता है. पूजा करने के बाद आप बाबा महाकाल के दर्शन कर सकते हैं.उज्जैन के नजदीक में महेश्वर और ओंकारेश्वर जैसी जगह हैं जहां नर्मदा नदी है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)