Parsi New Year 2023 In Hindi: पारसी समाज में नवरोज का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन से पारसी नए साल की शुरुआत मानी जाती है. आपको बता दें कि पारसी कैलेंडर के हिसाब से देखा जाए, तो उनके नए साल की शुरुआत 16 अगस्त से मानी जाती है. गौरतलब है कि पारसी न्यू ईयर (Parsi New Year 2023) को जमशेदी नवरोज भी कहा जाता है. दुनियाभर में पारसी नववर्ष साल में 2 बार मनाया जाता है. पहला नववर्ष 21 मार्च को और दूसरा नववर्ष 16 अगस्त से माना जाता है. तो चलिए जानते हैं पारसी न्यू ईयर से जुड़ी खास बातें विस्तार से.

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नवरोज का मतलब क्या होता है?

नवरोज शब्द का निर्माण ‘नव’ और ‘रोज’ शब्दों से मिलकर बना है. जिसमें ‘नव’ का मतलब होता है ‘नया दिन’ और ‘रोज’ का अर्थ होता है ‘दिन’ यानी कि ‘नवरोज’ का अर्थ हुआ ‘नया दिन’. आपको बता दें कि ‘नवरोज’ प्रकृति को धन्यवाद देने के दिन के रूप में देखा जाता है.

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साल में कितने पर नवरोज पड़ता है?

आपको बता दें कि नवरोज का पर्व कई जगहों पर साल में दो बार मनाने का प्रावधान है. पारसी समुदाय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाने वाला पहला नवरोज 21 मार्च और दूसरा नवरोज 16 अगस्त को मनाया जाता है. दुनियाभर में नवरोज पारसी पंचांग के पहले महीने में यानी कि 21 मार्च को मनाया जाता है. भारत के पारसी नवरोज को शहंशाही पंचांग के मुताबिक मनाते हैं, इसीलिए वह 16 अगस्त को नए साल के रूप में सेलिब्रेट करते हैं.

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नवरोज कैसे मनाया जाता है?

नवरोज का दिन पारसी समुदाय के लोगों के लिए बहुत ही खास होता है. इस दिन इस समुदाय के लोग एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं, एक-दूसरे को तोहफों का आदान प्रदान करते हैं. घरों को बहुत ही खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है. घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए-खाए जाते हैं. इसके साथ ही चंदन की लकड़ियों के टुकड़े को घर में रखा जाता है. पारसी समुदाय के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा में नाचते गाते और खुशी मनाते हैं. इसके अलावा पारसी समुदाय के लोग अपने देवता की पूजा करते हैं और साथ ही अपने राजा को भी याद करते हैं. इसके साथ ही इस दिन अपने परिवार के लिए खुशी, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं और इस दिन जरूरतमंदों को चीजें दान करने की भी परंपरा है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)