Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi: एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. एक महीने में दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष. इस तरह से साल में 24 एकादशी होती है, लेकिन अधिक मास की स्थिति में इसकी संख्या 26 भी हो जाती है. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को जो एकादशी पड़ती है उसे पापमोचनी एकादशी कहते हैं. बताया जाता है कि धर्मराज युद्धिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पापमोनी एकादशी व्रत के बारे में पूछा. तो श्रीकृष्ण ने पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा सुनाई. यही व्रत कथा व्रत रखने वाले पढ़ते या सुनते है. चलिए आपको भी हम उस कथा के बारे में विस्तार से बताते हैं.

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पापमोचनी एकादशी की व्रत कथा (Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक दौर की बात है. चित्ररथ नाम के वन में देवराज इंद्र देवताओं और गंधर्व कन्याओं के साथ घूमने गए थे. वन में मेधावी नाम के ऋषि तपस्या कर रहे थे जो भगवान विष्णु के उपासक भी थे. एक बार कामदेव ने उस ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए मंजुघोषा नाम की अप्सरा को भेजा था. मेधावी ऋषि युवा थे, वे उस अप्सरा के नृत्य, संगीत और रूप पर मोहित हो गए. वे दोनों रति क्रीड़ा में लीन हुए और ऐसे उनके जीवन के 57 साल बीत गए. एक दिन मंजुघोषा ने मेधावी ऋषि से वापस देव लोक जाने की अनुमति मांगी तो ऋषि को ध्यान आया कि वो वन में तपस्या करने गए थे. इस अप्सरा के कारण वे अपने रास्ते से भटक गए थे. क्रोधित ऋषि ने अप्सरा को पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया.

Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi
पापमोचनी एकादशी 2023. (फोटो साभार: Pixabay)

अप्सरा ने उस श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा तो ऋषि ने कहा कि पापमोचनी एकादशी का व्रत विधिवत करने से मुक्ति मिल जाएगी. इतना कहकर मेधावी ऋषि अपने पिता के आश्रम चले गए. ऋषि अपने पिता को सारी बात बता रहे थे कि उनके पिता क्रोधित हो गए और उन्होंने ऋषि को भी पापमोचनी एकादशी व्रत करने को कहा. जब चैत्र कृष्ण एकादशी तिथि आई तो मंजुघोषा ने विधि विधान के साथ व्रत रखा और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर दिया जिसके साथ ही वो पिशाचिनी योनी से मुक्ति पाकर स्वर्ग लोक में चली गईं. मेधावी ऋषि ने भी यही व्रत रखा और अपने ध्यान में लीन हो गए. ऐसा माना जाता है कि जो भी इस व्रत को रखता है, विधि-विधान के साथ पूजा करता है तो उसके सारे पाप धुल जाते हैं और उसे उस पाप का भोग नहीं करना पड़ता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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