Makar Sankranti 2023 Par Ganga Snan or Daan Kyon Karte Hain: हिंदू (Hindu) धर्म में मकर संक्रांति के त्योहार का विशेष महत्व है. देश भर के कई अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है. सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है. इस माह सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करने वाले हैं. ऐसे में इसे मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) के नाम से जाना जाता है. बता दें कि माघ मास में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी के दिन पड़ रहा है. हिंदू धर्म में इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है. तो आइए जानते हैं मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान क्यों किया जाता है.

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मकर संक्रांति गंगा स्नान क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन स्नान करना बहुत ही शुभ माना गया है. मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा में स्नान करना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान करने से इंसान के सभी पाप खत्म हो जाते हैं. यदि आप गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही नहाने की पानी में गंगा जल मिलकर स्नान करें.

मकर संक्रांति पर दान क्यों किया जाता है?

मकर संक्रांति के दिन लोग प्रातः काल स्नान करते हैं. फिर इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर अनेक चीजों का दान देते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन चीजों का दान करने से सूर्य, चंद्रमा, बुध, गुरु, शनि और राहु-केतु से जुड़े दोष दूर होते हैं और इसके साथ ही ग्रहों की भाग्य की प्रबलता और शुभता बढ़ती है. मकर संक्रांति पर तिल, खिचड़ी, चमड़े के जूते, गुड़ और घी, गुड़, कंबल और चावल का दान किया जाता है.

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क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?

मान्यता है कि भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्वामी हैं. इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है. पवित्र नदी गंगा भी इसी दिन धरती पर अवतरित हुई थी, इसलिए मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जाता है.

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महाभारत में पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही स्वेच्छा से शरीर का परित्याग किया था. इसका कारण यह था कि उत्तरायण में शरीर छोड़ने वाली आत्माएं या तो कुछ समय के लिए देवलोक चली जाती हैं या उन आत्माओं को पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा मिल जाता है. जबकि दक्षिणायन में शरीर त्यागने के बाद आत्मा को लंबे समय तक अंधकार का सामना करना पड़ सकता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.