Jitiya Vrat 2022: हिंदू धर्म में कई सारे ऐसे व्रत आते हैं, जो महिलाएं अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. जीवित्पुत्रिका व्रत या फिर जितिया व्रत भी उनमें से एक हैं. जीवित्पुत्रिका व्रत अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है. जितिया व्रत के दिन महिलाएं संतान का अच्छा स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए पूरा दिन निर्जल व्रत रखती हैं. जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat Date) को बहुत कठिन माना जाता है. क्योंकि इसे तीन दिन तक रखा जाता है. जितिया व्रत इस बार 18 सितंबर को पड़ रहा है. व्रत की शुरुआत 17 सितंबर शनिवार को नहाय खाय (Nahay Khay 2022) से हो गयी है और 19 सितंबर को इस व्रत का पारण किया जाएगा. यहां हम आपको बताएंगे व्रती महिलाएं किन 5 मुहूर्त में पूजा-पाठ न करें और जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व.

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इन मुहूर्त में न करें जितिया व्रत पूजन-

राहुकाल- 04:51 पी एम से 06:23 पी एम

यमगण्ड-12:15 पी एम से 01:47 पी एम

आडल योग- 03:11 पी एम से 06:08 ए एम, सितम्बर 19

दुर्मुहूर्त- 04:45 पी एम से 05:34 पी एम

गुलिक काल- 03:19 पी एम से 04:51 पी एम

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जितिया व्रत का महत्व-

हिंदुस्तान न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाएं जितिया व्रत अपनी संतान की लंबी उम्र, निरोगी जीवन और खुशहाली के लिए रखती हैं. 3 दिनों तक चलने वाले जितिया व्रत का बहुत महत्व है. इस व्रत को वंश वृद्धि के लिए भी अच्छा माना जाता है.

कब होगा जितिया व्रत का पारण?

19 सितंबर की सुबह 6.08 बजे से लेकर 7.40 मिनट के बीच में आपको पारण करना होगा. इसमें जो माताएं व्रत रखती हैं वे दान की चीजों को छूने के बाद व्रत का पारण किसी मीठी चीज से कर सकती हैं. मगर उस दिन भी उन्हें लहसुन-प्याज का बाहरी चीजों को खाने से बचना चाहिए.

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जितिया व्रत पूजन विधि-

-जितिया व्रत के दिन सुबह नहाने के बाद व्रती प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ कर लें.

-अब वहां एक छोटा सा तालाब बना लें.

-इसके बाद आप एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें.

-अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित तस्वीर जल के पात्र में स्थापित करें.

-अब उन्हें अक्षत, दीप, धूप, रोली और लाल और पीली रूई से सजा लें.

-अब भगवान का भोग लगाएं.

-अब गोबर या फिर मिट्टी चील और मादा सियार की प्रतिमा बना लें.

-दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें.

-अब आप पुत्र की कुशलता और प्रगति की कामना करें.

-इसके बाद व्रत कथा सुनें या पढ़ें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.