Indira Ekadashi Vrat Katha In Hindi: आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के रूप में मनाने की परंपरा है. पितृपक्ष के दौरान पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का सनातन धर्म में विशेष महत्व माना गया है. मान्यतानुसार, इस दिन व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.आपको बता दें कि इस एकादशी के शुभ अवसर पर भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की पूजा करने का विधान है. इस बार इंदिरा एकादशी 10 अक्टूबर, मंगलवार के दिन पड़ रही है. मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से व्रत रखने वाले को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति पा जाता है. इस दिन व्रत कथा का विशेष महत्व माना गया है. मान्यता है कि इस व्रत को करने के बाद पौराणिक कथा अवश्य पढ़नी चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति का कल्याण होता है.

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इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat Katha)

सतयुग में महिष्मती नगर में इंद्रसेन नाम का एक प्रतापी राजा राज करता था. उसके पास धन समृद्धि पुत्र पौत्र आदि सभी प्रकार के सुख मौजूद थे. एक दिन भ्रमण करते हुए महर्षि नारद उसके दरबार में पहुंचे और बताया कि एक दिन वह यमलोक गए थे जहां पर उसके पिता भी मिले. पूछने पर बताया कि एक बार उनसे एकादशी का व्रत भंग हो गया था जिसके कारण उन्हें अभी तक मुक्ति नहीं मिल पायी है और इसलिए वह यमलोक में हैं. यह सुनकर इंद्रसेन बहुत दुखी हुआ और उसने नारद मुनि से पिता जी को मुक्ति दिलाने का उपाय पूछा.

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इस पर नारद जी ने राजा को मुक्ति दिलाने का उपाय बताते हुए कहा कि हे राजन! अगर आप चाहते हैं कि आपके पितरों को मुक्ति मिल जाए, तो आपको आश्विन कृष्ण एकादशी का व्रत धारण करना चाहिए. ऐसा करने से तुम्हारे पिता को सभी दोषों से मुक्ति मिल जाएगी. इसके बाद राजा ने आश्विन मास आने पर कृष्ण पक्ष की एकादशी को विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखा. राजा ने पितरों का श्राद्ध कर ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ ही दान दक्षिणा दी, जिसके परिणामस्वरूप उसके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और राजा चंद्रसेन को भी मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम की प्राप्ति हुई. तभी से मान्यता है कि इंदिरा एकादशी के दिन कथा के साथ साथ पौराणिक कथा का पाठ करने से साधक का कल्याण होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)