नवरात्रि (Navratri 2022) के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करके आशीर्वाद लिया जाता है. इस पर्व का हिन्दू धर्म के अधिकतर लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. जगह-जगह पर बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं. नवरात्रि के दिनों में गरबा खेलने की परंपरा बहुत पुरानी है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गुजरात में गरबा और डांडिया खेल कर इन नवरात्रि को कुछ खास अंदाज में मनाया जाता है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि के पर्व (Navratri Festival) के दौरान में गरबा (Garba) क्यों खेला जाता है और इसे मनाने की परंपरा कितने वर्ष पुरानी है.

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कैसे शुरू हुआ हुआ गरबा

गुजरात का पारंपरिक लोग नृत्य है गरबा. गुजरात में नवरात्रि के 9 दिनों तक अधिकतर जगहों पर गरबा की धूम रहती है. नवरात्रि के समय लोग गरबा खेलकर मां दुर्गा को खुश करने की कोशिश करते हैं. इसके साथ ही मां दुर्गा से मनोकामना पूरी करने की कामना करते हैं. नवरात्रि में डांडिया और गरबा खेलने की परंपरा बहुत पुरानी है. गरबा की शुरुआत सबसे पहले गुजराज से हुई. इसके बाद यह पारंपरिक नृत्य धीरे-धीरे बहुत लोकप्रिय हो गया. इसके बाद फिर राजस्थान समेत देश के अन्य हिस्सों में भी गरबा की शुरुआत हो गई.

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अगर हम गरबा शब्द की ओर ध्यान दें तो यह शब्द कर्म और दीप से मिलकर बना है. नवरात्रि के प्रथम दिन मिट्टी के घड़े में अधिक छेद करके इसके भीतर एक दीपक जलाकर रखा जाता है. इसके साथ चांदी का एक सिक्का भी रखा जाता है. इस दीपक को ही दीप गर्भ कहा जाता है. दीपक की गर्भ स्थापना के पास महिलाएं रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर माता दुर्गा के आगे नृत्य कर उन्हें खुश करती हैं. अगर हम बात करें दीप गर्भ की तो यह नारी की सृजन शक्ति का प्रतीक है और गरबा इसी दीप गर्भ का अपभ्रंश रूप है.

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गरबा और डांडिया का धार्मिक महत्व

गरबा और डांडिया दोनों नृत्य मां दुर्गा से संबंध रखते हैं. यह नृत्य माँ के गर्भ में जीवन का प्रतिनिधित्व करने वाली ज्वाला का प्रतीक है. साथ ही, गरबा नृत्य के दौरान बना चक्र जीवन चक्र का प्रतिनिधित्व करता है. वहीं डांडिया नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध को दर्शाया गया है. डांडिया की रंगीन छड़ी को नृत्य में मां दुर्गा की तलवार के रूप में भी देखा जाता है. इसलिए इसे तलवार नृत्य या तलवार का नृत्य भी कहा जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)