Skand Shashthi 2023 Date: स्कंद षष्ठी का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है. सनातन धर्म में स्कंद षष्टि व्रत का खास महत्व बताया गया है. हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, प्रत्यके महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्टि व्रत रखा जाता है. फाल्गुन माह में इस बार स्कंद षष्ठी व्रत 25 फरवरी दिन शनिवार को है. इस व्रत का दक्षिण भारत में अधिक महत्व है. महिलाएं संतान की दीर्घ आयु और उनकी इच्छा पूर्ति के लिए स्कंद षष्ठी व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से संतान के जीवन में आने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलता है. इस लेख में हम आपको बताएंगे स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.

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स्कंद षष्ठी शुभ मुहूर्त (Skand Shashthi Shubh Muhurat)

फाल्गुन माह में स्कंद षष्ठी व्रत 25 फरवरी दिन शनिवार को है. फाल्गुन षष्ठी तिथि का आरंभ 25 फरवरी सवेरे 12 बजकर 31 एएम पर शुरू हुई है और यह तिथि 26 फरवरी को 12 बजकर 20 एएम तक रहेगी. उदया तिथि के मुताबिक स्कंद षष्ठी व्रत 25 फरवरी को रखा जाएगा. स्कंद षष्ठी में एक दिन फलाहार किया जाता है. दक्षिण भारत में यह व्रत छह दिन रखा जाता है. मान्यता है कि इससे इंसान को सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.

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स्कंद षष्ठी पूजा विधि (Skand Shashthi Puja Vidhi)

-स्कंद षष्ठी व्रत के दिन सुबह उठकर घर की साफ-सफाई करें और नहा लें.
-इसके बाद भगवान का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. कहा जाता है कि स्कंद षष्ठी व्रत रखने वाले इंसान को दक्षिण दिशा में मुह करके भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए.
-फिर इसके बाद भगवान कार्तिकेय के साथ शिव पार्वती की मूर्ति स्थापित करें.

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-पूजा के समय जल, घी, दही और पुष्प से पूजा करनी चाहिए. हल्दी, कलावा अक्षत, चंदन और इत्र अर्पित करें.
-अब देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव, कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तुते मंत्र का जाप करें.
-भगवान को फूल, फल और मेवा अर्पित करें.
-पूरे दिन व्रत रहें, शाम पूजा के बाद भजन कीर्तन और आरती करें.
-रात्रि में भूमि पर शयन करें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.