Ekadashi Vrat September 2023: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. इस व्रत का सीधा कनेक्शन भगवान विष्णु से होता है और इस व्रत को करने वाले भगवान विष्णु के प्रिय होते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल में 24 एकादशी व्रत पड़ती है और महीने में दो बार एकादशी व्रत रखा जाता है. हर एकादशी व्रत का खास महत्व होता है और 1 सितंबर 2023 से भाद्रपद माह लग चुका है जो 29 सितंबर 2023 तक रहने वाला है. भाद्रपद में पहली अजा एकादशी व्रत पड़ती है जो 10 सितंबर को बीत चुकी है लेकिन दूसरी एकादशी अभी आने वाली है. चलिए आपको उसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

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सितंबर की दूसरी एकादशी कब है? (Ekadashi Vrat September 2023)

1 सितंबर 2023 को हिंदू कैलेंडर का छठवां महीना भाद्रपद माह की शुरुआत हुई जो 29 सितंबर तक रहेगी. इसमें कृष्ण और शुक्ल पक्ष हैं जिसमें पहली एकादशी 10 सितंबर 2023 को अजा एकादशी के रूप में मनाई गई. अब दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी 25 सितंबर 2023 दिन सोमवार को पड़ेगी. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी (Jal jhulni ekadashi 2023) के नाम से जानते हैं. हिंदू धर्म में जलझूलनी एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है और इसमें अगर आप यज्ञ करते हैं तो आपको विशेष लाभ हो सकता है. भगवान विष्णु की कृपा से इस व्रत को करने वालों को उनका आशीर्वाद मिलता है और उनके कष्ट भी दूर होते हैं.जलझूलनी एकादशी (Jal Jhulni Ekadashi 2022) व परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi 2022) के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि योगनिद्रा में रहने के कारण भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर विष्णु जी करवट लेते हैं इसलिए इसे परिवर्तनी एकादशी का नाम भी दिया गया है.

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जलझूलनी एकादशी का महत्व (Jal Jhulni Ekadashi Importance)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जलजुलनी एकादशी के दिन चतुर्मास के दौरान योग निद्रा में रहने वाले भगवान विष्णु नींद के दौरान अपना पक्ष बदलते हैं. इसका उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है. यह भी माना जाता है कि जो भक्त भाद्रपद शुक्ल एकादशी का व्रत और पूजा करते हैं, उन्हें ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों में पूजा का फल मिलता है. इस एकादशी व्रत को लोगों को जरूर करना चाहिए क्योंकि इस व्रत को करने से समस्त फलों की प्राप्ति होती है और माता लक्ष्मी उन्हें सौभाग्य भी देती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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