Dahi Handi 2023: इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 6 और 7 सितंबर यानी 2 दिन मनाया जाएगा. इस त्योहार से जुड़ी कई परंपराएं हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं. ऐसी ही एक परंपरा है दही हांडी. वैसे तो दही हांडी की यह परंपरा पूरे देश में मनाई जाती है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा क्रेज महाराष्ट्र में देखने को मिलता है. ऊंची इमारतों में बंधी दही हांडी को तोड़ने के लिए युवाओं की भीड़ जुटती है. इस परंपरा के पीछे कई कहानियां और जीवन प्रबंधन छिपा हुआ है. आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें.
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इस तरह दही हांडी की परंपरा शुरू हुई (Dahi Handi 2023)
श्रीमद्भागवत में भगवान श्री कृष्ण के बचपन का बहुत ही सुंदर वर्णन किया गया है. कहा जाता है कि बचपन में श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ गोकुलवासियों के घरों से मक्खन चुराकर अपने गरीब मित्रों को खिलाते थे. जब यह बात गांव की महिलाओं को पता चली तो उन्होंने मक्खन की मटकी को ऊंचाई पर बांधना शुरू कर दिया. ऐसे में श्रीकृष्ण अपने मित्रों से माखन चुराने के लिए एक ऊंचा और गोल घेरा बनाकर उस पर चढ़ने को कहते थे. माखन चुराने के कारण उन्हें माखनचोर भी कहा जाता था. बाद में श्री कृष्ण की इस लीला का आनंद लेने के लिए दही हांडी की परंपरा शुरू हुई.
इन बातों का रखें खास ख्याल
श्री कृष्ण द्वारा माखन चुराना सिर्फ एक सांसारिक कार्य नहीं है बल्कि इसमें जीवन प्रबंधन के कई गहरे सिद्धांत छिपे हैं. ये समझना हम सभी के लिए बहुत जरूरी है. जानिए इन जीवन प्रबंधन सूत्रों के बारे में…
1. जीवन प्रबंधन की दृष्टि से मक्खन संचित धन के समान है. अगर हमारे पास जरूरत से ज्यादा पैसा है तो हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए न कि ज्यादा से ज्यादा पैसा जमा करने के बारे में सोचना चाहिए.
2. मक्खन खाने से शरीर सक्रिय और ऊर्जावान रहता है और बीमारियों से भी बचाव रहता है. श्रीकृष्ण का बचपन में माखन खाना इस बात का प्रतीक है कि बच्चों को बचपन में दूध, दही, मक्खन आदि उचित आहार मिलना बहुत जरूरी है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)