Chaitra Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi: कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. अगर चैत्र शिवरात्रि की बात करें तो ये चैत्र माह के कृष्ण की चतुर्दशी को होता है और इस बार 20 मार्च को चैत्र मासिक शिवरात्रि पड़ रही है. ये दिन भगवान शिव को समर्पित होता है और इस बार सोमवार के दिन मासिक शिवरात्रि है जिसका महत्व विशेष होता है. इस दिन व्रत रखकर अगर आप महादेव को प्रन्न करना चाहते हैं तो कर सकते हैं. इस दिन विधिवत पूजा करें, व्रत रखें और पूजा के दौरान मासिक शिवरात्रि व्रत कथा जरूर पढ़ें. ऐसा करने से आपकी पूजा जरूर सफल होगी.

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क्या है चैत्र मासिक शिवरात्रि व्रत कथा? (Chaitra Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार चित्रभानु नाम का शिकारी था जो शिकार करके अपने परिवार का पेट भरता था. उसी नगर के एक साहूकार का वो शिकारी कर्जदार भी हो गया था. आर्थिक तंगी के कारण वो ऋण नहीं चुका पा रहा था जिसके कारण साहूकार बहुत नाराज रहता था. एक बार गुस्से में साहूकार ने चित्रभानु को शिवमठ में बंद कर दिया. संयोगवश उसी दिन मासिक शिवरात्रि पड़ी थी. मंदिर में भजन-कीर्तन हो रहे थे तो चित्रभानु ने भी शिव के भजन-कीर्तन का हिस्सा बना. सुबह होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के लिए कहा. शिकारी ने कहा कि सेठजी कल तक आपका कर्ज चुका दूंगा. ऐसा कहकर उसने वहां से जाने की आज्ञा ली तो साहूकार ने उसे छोड़ दिया. इसके बाद शिकारी जंगल चला गया और रात का बंदी बना शिकारी भूखा था.

व्याकुल होकर उसने शिकार ढूंढा लेकिन उसे कुछ नहीं मिला. जंगल में ही चित्रभानु ने रात बिताई. वो बहुत परेशान था कि उसे कोई शिकार नहीं मिला और ऋण भी नहीं चुका पाया. यही सब सोचते हुए वह जंगल में ही तालाब के पास पहुंचा और पेटभर कर पानी पिया. इसके बाद वह बेल के पेड़ पर चढ़ गया जो वहीं पर था. बेलपत्र के पंड के नीचे शिवलिंग की स्थापना हो रही थी लेकिन वह पूरी तरह बेल की पत्तियों से ढका होने के कारण शिकारी को दिखाई नहीं दिया. शिकारी चित्रभानु पेड़ में बैठने के लिए बेल की टहनियां और पत्ते तोड़ने लगा. संयोगवश टहनियों के पत्ते शिवलिंग पर चढ़ता गया. शिकारी चित्रभानु रात से लेकर दिनभर भूखा रहा. इसी तरह उसका मासिक शिवरात्रि का व्रत पूरा हो गया और कुछ समय बाद तालाब पर पानी पीने गर्भवती हिरणी आई.

Chaitra Masik Shivratri Vrat Katha in Hindi
मासिक शिवरात्रि की कथा और पूजा करें.(फोटो साभार: Unsplash)

पानी पीती हिरणी को देखकर चित्रभानु ने धनुष उठा लिया तभी हिरणी ने उसे देख लिया. हिरणी ने कहा कि मुझे तीर मत मारो मैं गर्भवती हूं और तुम एक साथ दो जीवों की हत्या नहीं कर सकते. लेकिन मैं जल्द ही प्रसव करूंगी जिसके बाद तुम्हारे पास आऊंगी तब तुम मेरा शिकार कर लेना. उस हिरणी की बात सुनकर चित्रभानु ने धनुष नीचे कर लिया और देखते ही देखते हिरणी वहां से चली गई. धनुष नीचे करते हुए बेलपत्र शिवलिंग पर गिरे और उसकी प्रहर की पूजा भी पूरी हो गई. तभी दूसरी हिरणी आई और उसे देखकर वो खुश हुआ लेकिन हिरणी ने कहा कि मैं अपने पति से बिछड़ गई हूं. जब मैं उनसे मिल जाऊं तब तुम मेरा शिकार कर लेना. शिकारी फिर दुखी हो गया और चिंता में पड़ गया कि वो अपना कर्ज कैसे उतारेगा.

इसी तरह से उसने एक मृग और भी कई जानवरों को उनकी अपनी अपनी परेशानयों के कारण शिकार नहीं किया. चित्रभानु को दया आई और उसने शिकार करना छोड़ दिया. अगले दिन शिकारी ने किसी और से कर्ज लेकर सेठजी का कर्ज चुकाया. इसके बाद चित्रभानु मेहनत करके कमाने लगा और उसका जीवन अनमोल बन गया. ऐसा माना जाता है कि अनजाने में उससे जो पूजा हुई उसी से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उसका जीवन अच्छा कर दिया. अंत में चित्रभानु मरने के बाद शिवलोक पहुंचा और उसे मोक्ष मिल गया. इसी को लेकर ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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