हर साल कार्तिक मास (Kartik Month)के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी (Amla Navmai) मनाई जाती है. इसे अक्षय नवमी (Akshaya Navami) के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि द्वापर युग की शुरुआत शुक्ल नवमी के दिन हुई थी. इसलिए शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि युगादि तिथि मानी जाती है. आंवला नवमी का बहुत महत्व माना जाता है, आंवला नवमी के दिन ही श्री हरी विष्णु जी ने कुष्मांड राक्षस का वध किया था. जिसके रोम से कुष्मांड-सीताफल की बैल निकली थी, इसी वजह से इसे कुष्मांड नवमी (kushmand Navami)भी कहा जाता है. आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और भगवान से अपने परिवार के सुख समृद्धि की मनोकामना की जाती है. आइए जानते हैं कि आंवला नवमी की पूजा विधि, कथा और महत्व के बारे में.

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आंवला नवमी पूजा विधि

सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लें.  आंवले की जड़ में दूध चढ़ाकर रोली, अक्षत , पुष्प, गंध आदि से विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें. फिर आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करने के बाद दीप प्रज्वलित करें. उसके बाद कथा सुनें.

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आंवला नवमी कथा

माना जाता है कि आंवला नवमी के दिन माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके वृक्ष के नीचे भोजन करने की परंपरा शुरू की थी. आंवला नवमी कथा के अनुसार  एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं थी. रास्ते में भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा एक साथ करने की उनकी इच्छा हुई और माँ ने विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है. तभी उन्हें ख्याल आया  कि तुलसी और बेल के  गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है.  तुलसी श्री हरि विष्णु को अत्यंत  प्रिय है और बेल भगवान भोलेनाथ को प्रिय है. आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर माँ लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा संपन्न की. माँ लक्ष्मी की  पूजा से प्रसन्न होकर श्री विष्णु और शिव प्रकट हुए, तब लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया, इसके बाद स्वयं ने भोजन किया. उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी का दिन था इसलिए तभी से आंवला वृक्ष पूजन की यह परंपरा चली आ रही है. अक्षय नवमी के दिन यदि आंवले की पूजा की जाए और उसके नीचे बैठकर भोजन किया जाए तो तो इसे शुभ फल मिलता है. यदि आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करना संभव न हो तो इस दिन आंवला जरूर खाएं.

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आंवला नवमी शुभ मुहूर्त

नवमी तिथि शुरू – 1 नवम्बर, मंगलवार को रात 11 बजकर 4 मिनट से शुरू होगी.

नवमी तिथि समाप्त – 2 नवम्बर, बुधवार को रात 9 बजकर 9 मिनट तक रहेगी.

आंवला नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक.

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धार्मिक ग्रन्थ में आंवले का महत्व

पद्म पुराण के अनुसार यह पवित्र फल भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न करने वाला व शुभ माना गया है.  इसके फल के खाने मात्र से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाते हैं. आंवला खाने  से आयु बढ़ती है , उसका रस पीने से धर्म -संचय होता है  और उसके जल से स्नान करने से दरित्रता दूर होती है तथा सब प्रकार के ऐश्वर्य प्राप्त होते हैं.  आंवले का दर्शन , स्पर्श तथा उसके नाम का उच्चारण करने से वरदायक भगवान  श्री विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं. जहां आंवले का फल मौजूद होता है ,वहां  भगवान श्री विष्णु सदा विराजमान रहते हैं तथा उस घर में ब्रह्मा और लक्ष्मी का वास होता है.  इसलिए अपने घर में आंवला अवश्य रखना चाहिए.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.