Happy Amla Navami Images, Wishes, Status; अक्षय नवमी का पर्व आंवला से जुड़ा हुआ है. आंवला नवमी कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को मनाई जाती है. इसे अक्षय नवमी (Akshay Navami) भी कहा जाता है और माना जाता है कि द्वापर युग की शुरुआत इसी दिन से हुई थी. आंवला को अमरता का फल भी कहा जाता है. इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है क्योंकि इसे सभी देवी-देवताओं का निवास माना जाता है. इस साल 2022 में अक्षय नवमी 2 नवंबर को मनाई जाएगी. यहां देखें अक्षय नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं. 

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* अक्षय नवमी का ये पर्व आपके जीवन में सुख, शांति, यश, वैभव के साथ ही स्वस्थ काया और अमृत की वर्षा करें. इन्हीं मंगलकामनाओं के साथ आप सभी को अक्षय नवमी की अनन्त हार्दिक शुभकामनाएं. 

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आप सभी को अक्षय नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं. ईश्वर आपको अखंड सौभाग्य, संतान सुख एवं आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करें.

प्रकृति के प्रति परस्पर संबंध के भाव से भरे पर्व आंवला नवमी (अक्षय नवमी) की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.

आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा,अर्चना,आरती और परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

इस दिन आंवले के वृक्ष के निकट बैठकर भोजन करने से और आंवला प्रसाद खाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है, इस दिन व्रत रखने से संतान की प्राप्ति भी होती है.

अक्षय नवमी के दिन महिलाएं आवला के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं और इसके अलावा पेड़ के नीचे भोजन करती हैं.

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अक्षय फल व पुण्य देने वाली कार्तिक शुक्ल पक्ष की आंवला नवमी का यह महापर्व सभी के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि व खुशहाली की अमृत वर्षा करे.

आंवले के वृक्ष में होता है,

भगवान शिव और श्रीहरि का वास,

वृक्ष के नीचे बैठने और भोजन करने से,

सभी रोगों का होता है नाश.

आंवला नवमी 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं.

अक्षय नवमी के दिन महिलाएं आवला के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं और इसके अलावा पेड़ के नीचे भोजन करती हैं.

अक्षय नवमी 2022 का महत्व

अक्षय नवमी के दिन दान करने का अधिक महत्व है. मान्यता है कि कार्तिक महीने की नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में विराजमान रहते हैं. इसी वजह से अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा-अर्चना के साथ इसकी छाया में बैठकर भोजन करना शुभ माना गया है. अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने के अलावा 108 बार परिक्रमा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इसके साथ ही इस दिन व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)