अधिक मास (Adhik Maas Shaligram Puja) का महीना कई मायनों में बहुत ही खास माना जाता है. इस महीने को भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है. हर 3 साल बाद आने वाले इस महीने में किसी भी प्रकार के मांगलिक या शुभ कार्य करने की मनाही होती है. अधिक मास को मलमास और पुरुषोत्त्म मास के नाम से जानते हैं. इस बार अधिक मास महीने की शुरुआत 18 जुलाई से हो चुकी है, जो कि 16 अगस्त तक चलने वाला है. इस मास में तुलसी पूजन के साथ भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की पूजा (Adhik Maas Shaligram Puja) करने का विधान है. मान्यतानुसार, इस दौरान भगवान शालिग्राम की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ और भी कई लाभ होते हैं.

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शालिग्राम की पूजा कैसे करनी चाहिए? (Shaligram Puja Vidhi In Hindi)

शास्त्रों के मुताबिक, शालिग्राम के नियमित रूप से पूजा करना चाहिए. रोजाना जल अर्पित करना चाहिए. स्नान कराने के बाद चंदन लगाएं. इसके साथ ही तुलसी दल अर्पित करें. फिर भोग लगाएं और घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत पूजा कर लें. आप चाहें, तो सप्ताह में एख बार या फिर रोजाना पंचामृत प्रसाद चढ़ा सकते हैं. माना जाता है कि इस प्रसाद का सेवन करने से व्यक्ति के हर तरह के पापों का नाश हो जाता है और व्यक्ति पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है. इसके साथ ही उसके अंदर की नकारात्मकता भी मिट जाती है.

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शालिग्राम पूजा का महत्व (Shaligram Puja Mahatva In Hindi)

पद्मपुराण के अनुसार, अधिक मास के दौरान भगवान शालिग्राम की पूजा अर्चना करना बहुत ही कल्याणकारी माना गया है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति मलमास के महीने में उन्हें स्नान कराने के साथ ही विधि विधान से पूजा अर्चना करने के साथ साथ तुलसी जल अर्पित करता है, तो उसे कई यज्ञों के बराबार पुण्य प्राप्त होता है. इसके साथ ही उसके सभी पापों का नाश हो जाता है. मान्यतानुसार, जिस स्थान पर शालिग्राम और तुलसी होते है, वहां पर भगवान विष्णु का वास होता है. इसलिए घर में भगवान शालिग्राम की स्थापना के साथ हर किसी को नियमित रूप से पूजा पाठ अवश्य करना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)