सावन का महीना चल रहा है जिसे भगवान शंकर का सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस महीने में शिवभक्त महादेव के मंदिरों में दर्शन करते हैं और विधि-विधान के साथ पूजा भी करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि सावन के महीने में शिवजी के प्राचीन मंदिरों में दर्शन करने की विशेषता ज्यादा है. आज हम आपको उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध शहर कानपुर के प्राचीन परमट के ‘आनंदेश्वर मंदिर’ से जुड़ी कुछ मान्यताएं और विशेषताएं बताएंगे.
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कानपुर का ‘आनंदेश्वर’ मंदिर है बहुत प्राचीन
कानपुर के ग्रीन पार्क के पास स्थित परमट मंदिर जिसे आमतौर पर सभी आनंदेश्वर मंदिर कहते हैं. ये मंदिर गंगा किनारे स्थित है और भक्त यहां लंबी कतारें लगाकर बाबा आनंदेश्वर के दर्शन करते हैं. बाबा की झलक पान के लिए कानपुर के के लोग यहां हर दिन आते हैं और ये मंदिर कानपुर के प्राचीन शिव मंदिर के तौर पर फेमस है. इस मंदिर में एसपी ने सीओ और बड़ी संख्या में इंस्पेक्टर और सिपाहियों की तैनाती भी की है और पूरे मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं. कानपुर आने वाले इस मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं और यहां की मेयर श्रीमती प्रमिला पांडे भी आनंदेश्वर बाबा की भक्त हैं.
बाबा आनंदेश्वर मंदिर के इतिहास के बारे में मंदिर परिसर के महंत व्याख्यान करते हैं. उनके मुताबिक, महाभारत काल का इतिहास आनंदेश्वर मंदिर से जुड़ा है. बताया जाता है कि यहां पर महाभारत के कर्ण ने पूाज की थी और सिर्फ उनको पता था कि यहां महादेव का शिवलिंग है. कर्ण गंगा में स्नान के बाद यहां गुपचुप तरीके से पूजा करते थे और गायब हो जाते थे मगर कर्ण को यहां पूजा करते हुए एक गाय ने देख लिया था. वो गाय उस जगह पर आती और उसके थन से अपनेआप दूध निकलने लगता था. गंगा किनारे जो गांव बसा है वहां रहने वाले गाय के मालिक को गाय दुहते समय जब दूध नहीं मिला तो उन्हें शक हुआ कि आखिर इसका दूध कौन निकाल लेता है.
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इसके बाद अगले दिन उसने गाय का पीछा किया और देखा कि गाय एक जगह दूध गिरा रही है. गाय के मालिक ने जब वहां खुदाई की तो वहां शिवलिंग निकला और उसके बाद उस जगह पर भगवान शिव का मंदिर बना दिया गया. धीरे-धीरे इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ती गई और यहां एक भव्य मंदिर बन गया. यहां आने वाले भक्तों की आस्था है कि उनके सारे दुख और कष्ट बाबा के दर्शन मात्र से मिट जाते हैं. यह मंदिर गंगा किनारे स्थित है और यहां हर दिन हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.