कुछ वाहन अपनी लॉन्चिंग के बाद जितने लोकप्रिय
होते है उससे कहीं ज्यादा उनकी कीमत और वैल्यू मार्केट उनके जाने के बाद होती
है. ऐसी ही एक मर्सिडीज कार है. इस कार की कीमत इतनी ज्यादा है कि यह विश्व की
सबसे महंगी कार (World’s most expensive car) बन चुकी है. अब इस मामले में एक मजेदार बात ये है कि इस कार को
जिसने खरीदा है, उसे भी इस कार को रोजाना चलाने की इजाजत नहीं है.

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जब बात आती है लग्जरी कार की तो मर्सिडीज का
नाम सबसे ऊपर आता है. मर्सिडीज की कारें जितनी शानदार होती हैं वैसे ही उनकी कीमत
भी शानदार होती है. लेकिन अब उसकी एक कार दुनिया की सबसे महंगी कार बन गई है. साल
1955 में बनी मर्सिडीज बेंज-300 एसएलआर कार (mercedes benz 300 slr) 1105 करोड़ रुपये में बिकी है और इसी
के साथ इसने दुनिया की सबसे महंगी कार का खिताब अपने नाम कर लिया है.

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सबसे महंगी कार को छोड़ा पीछे

मर्सिडीज की इस कार ने साल 1962 में बनी
फरारी-जीटीओ को भी कीमत के मामले में पीछे छोड़ दिया है. फरारी जीटीओ साल 2018 में
लगभग 375 करोड़ रुपये में बिकी थी.

कार खरीददार का नाम गुप्त

इस कार की बिक्री जर्मनी में हुई एक गुप्त
नीलामी के जरिए की गई है. वहीं बिक्री के बाद दुनिया की सबसे महंगी विंटेज
मर्सिडीज कार खरीदने वाले का नाम गुप्त रखा गया है .

यहां पर सबसे दिलचस्प बात यह है कि नीलामी में
इतनी महंगी कार को खरीदने वाला कार मालिक भी इसे अपने घर नहीं ले जा सकेगा और न ही
रोजाना इससे सड़कों पर सफर तय कर पाएगा. कार मालिक को यह मर्सिडीज कार कभी कभार ही
चलाने को मिला करेगी. डील के मुताबिक इस कार को जर्मनी के स्टटगार्ट स्थित मर्सिडीज
के म्यूजियम में रखा जाया करेगा.

यह मर्सिडीज 300 एसएलआर उहलेनहॉट कूप कार, आठ सिलिंडर वाली मर्सिडीज बेंज डब्ल्यू
196 फॉर्मूला वन कार के डिजाइन पर आधारित है. उस कार से अर्जेंटीना के स्टार कार रेसर
जॉन मैनुअल ने 1954-55 में विश्व चैंपियनशिप में जीत दर्ज की थी.

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सिर्फ 9 कारों का हुआ प्रोडक्शन

मर्सिडीज कंपनी ने 300 SLR कैटेगरी की अब तक सिर्फ 9 कारें ही बनाई
हैं. इनमें से दो स्पेशल उलेनॉ कूप प्रोटोटाइप कारें थीं. चेकिंग विभाग के मुखिया
ने इनमें से एक कार को कंपनी की कार के तौर पर चलाया.

कारों की मोनालिसा नाम मिली पहचान

इस 300 SLR कार को उन कारों का वंशज माना जाता है, जिनका 1930 के दशक में रेसिंग में
वर्चस्व कायम था. इन कारों को कारों की मोनालिसा नाम से पहचाना जाता रहा है.
मर्सिडीज बेंज चेयरमैन ओला क्लेनियस ने कहा, इससे हम मर्सिडीज की ताकत को दिखाना चाहते थे, जो कर दिखाया.

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नीलामी की रकम का यूज़

विश्व की सबसे महंगी कार की नीलामी में मिलने
वाली 1105 करोड़ की इतनी बड़ी रकम को कंपनी ने इंजीनियरिंग, गणित, विज्ञान के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप देने के लिए उपयोग करने का फैसला
लिया है.