धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) को 2002 में
अधिनियमित किया गया था. उसके बाद 2005 में इसे लागू कर दिया गया था. इस कानून को
बनाने का मुख्य उद्देश्य काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया यानी मनी
लॉन्ड्रिंग के मामलों में रोक लगाना है. इसके साथ साथ अवैध गतिविधियों और आर्थिक
अपराधों में इस्तेमाल होने वाले काले धन पर रोक लगाना है. वहीं मनी लॉन्ड्रिंग
में शामिल या उससे प्राप्त होने वाली संपत्ति को जब्त करना, मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े अन्य प्रकार के
संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना ही इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य है.
गौरतलब है कि PMLA के
अंतर्गत अपराधों की जांच करने की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate-ED) की
होती है.

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PMLA के
अंतर्गत आने वाले अपराधों की सूची

1.      
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code)

2.      
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act)

3.      
नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक
पदार्थ अधिनियम (Narcotics
Drugs and Psychotropic Substances Act)

4.      
पुरावशेष और कला कोष अधिनियम (Antiquities and Art Treasures Act)

5.      
ट्रेडमार्क अधिनियम (Trademark Act)

6.      
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act)

7.      
कॉपीराइट अधिनियम (Copyright Act)

8.      
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act)

इन सभी मामलों के साथ साथ इसमें ट्रांस-बॉर्डर
अपराध को भी शामिल किया गया है.

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PMLA
के तहत दंड की प्रक्रिया

इस अधिनियम की रेंज में आने पर अलग अलग अपराधों के लिए अलग अलग सजा का प्रावधान किया गया है. जैसे कि

–     अगर
कोई व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दोषी पाया जाता है, तो फिर उससे अवैध रूप
से अर्जित की गई संपत्ति और रिकॉर्ड आदि को जब्त कर लिया जाता है.

–     वहीं
धन शोधन के अपराध के मामले में कम से कम 3 वर्ष का कठोर कारावास, जिसे 7 वर्ष के
लिए बढ़ाया भी जा सकता है और इसके साथ साथ जुर्माना भी वसूल किया जाता है.

–     वहीं
नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध में शामिल होने की स्थिति में जुर्माने के साथ
साथ 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है.