मंगल ग्रह पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 18 फरवरी की रात में करीब 2.30 बजे मार्स पर्सिवरेंस रोवर को जेजरो क्रेटर में सफलतापूर्वक लैंड करवा लिया है. इसी के साथ अमेरिका मंगल ग्रह सबसे ज्यादा रोवर भेजने वाला सबसे पहला देश बना. इस रोवर को मंगल ग्रह पर भेजने का उद्देश्य प्राचीन जीवन का पता लगाना है और मिट्टी एंव पत्थरों का सैंपल धरती पर वापस लेकर आना है.

इस ट्वीट को करते हुए नासा ने लिखा, ‘ये जाने का समय है. टीम मिशन कंट्रोल से देख रही है. आखिरी काउंट डाउन टू मार्स के लिए लाइव जुड़ें. 90 से अधिक मिनटों में..’ नासा के वैज्ञानिको के लिए दूसरी बड़ी चिंता ये रही कि मंगल ग्रह के वायुमंडल में पर्सिवरेंस रोवर की एंट्री, उसकी दूरी और लैंडिग उसमें कोई समस्या नहीं आए. इन सभी कामों में करीब 7 मिनट का समय लगा और इन मिनटों तक नासा के वैज्ञानिकों की सांसे थमी रहीं. ऐसा इसलिए था क्योंकि मंगल ग्रह पर पर्सिवरेंस की लैंडिंग की जानकारी वैज्ञानिकों को 11 मिनट 22 सेकेंड के बाद मिल रही थी.

करीब दो घंटे के बाद नासा ने दूसरा ट्वीट करते हुए लिखा, ‘हैलो दुनिया, मेरे हमेशा वाले घर का पहला लुक.’ बता दें, नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, पर्सिवरेंस मार्स रोवर 1000 किलोग्राम वजन का है, जबकि इंजीन्यूटी हेलीकॉप्टर मात्र 2 किलोग्राम वजन का है. मार्स रोवर परमाणु ऊर्जा से चलेगा, मतलब पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईधन के तौर पर उपयोग किया गया है. यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 सालों तक काम कर सकता है और इसमें 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है, जिससे वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह की तस्वीरें, वीडियो और नमूने आसानी से मिल सके.

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