तमिलनाडु के कुन्नूर में जनरल बिपिन रावत को लेकर जा रहे हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की घटना में एकमात्र जीवित बचे इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Group Captain Varun Singh) का निधन हो गया है. उनका बेंगलुरु के कमांड अस्पताल में इलाज चल रहा था. 

तमिलनाडु के कुन्नूर में 8 दिसंबर को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को सुलूर से वेलिंगटन ले जा रहा हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसमें जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत के साथ कुल 14 लोग सवार थे. इसमें से सिर्फ ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह जीवित बचे थे, जिनका आज निधन हो गया. 

न्यूज एजेंसी ANI ने इंडियन एयरफोर्स के हवाले से ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के अस्पताल में निधन की पुष्टि की है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने ट्वीट किया, “उनके निधन से मैं बेहद दुखी हूं. राष्ट्र के लिए उनकी समृद्ध सेवा को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा. उनके परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना.” 

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के बारे में जानें 

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के परिवार के कई सदस्य सशस्त्र बलों में देश को अपनी सेवा दे रहे हैं. ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह भारतीय वायु सेना (IAF) से हैं, उनके पिता कर्नल (सेवानिवृत्त) केपी सिंह, आर्मी एयर डिफेंस (AAD) की रेजिमेंट से सेना के जवान थे. कर्नल केपी सिंह के बेटे और ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के भाई लेफ्टिनेंट कमांडर तनुज सिंह भारतीय नौसेना में एक अधिकारी हैं.

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ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह शौर्य चक्र से सम्मानित हैं, जो उन्हें इस साल की शुरुआत में स्वतंत्रता दिवस पर प्रदान किया गया था. वह पहले बेंगलुरु में भारतीय वायुसेना के साथ एक परीक्षण पायलट थे. एक घटना के दौरान ग्रुप कैप्टन वरुण ने हवाई आपात स्थिति के दौरान अपनी निजी सुरक्षा की परवाह किए बिना अपने लड़ाकू विमान तेजस को बचाया था.

उनके विमान ने अपना नियंत्रण खो दिया था और उस समय वह चमत्कारिक ढंग से बच निकले थे. वे अभी वेलिंगटन के स्टाफ कॉलेज में प्रशिक्षक के पद पर तैनात थे.

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मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के निवासी कर्नल केपी सिंह (वरुण के पिता) और उनकी पत्नी अब भोपाल के निवासी हैं, जो पूर्व में उनकी सेवानिवृत्ति के बाद बस गए थे. वे अपने दूसरे बेटे के साथ मुंबई में थे जब तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हुआ था.

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