रेलवे ने शनिवार को कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना में अच्छी प्रगति हुई है लेकिन इसके पूरा होने की वास्तविक समय सीमा का पता अगले तीन से छह महीने में चलेगा, जब भूमि अधिग्रहण की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने कहा कि गुजरात में 82 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण हो चुका है जबकि महाराष्ट्र में केवल 23 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण हुआ है. दूसरी ओर नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन के अधिकारीयों ने बताया कि भूमि अधिग्रहण में कुछ दिक्कतें और कोरोना के चलते प्रोजेक्ट में देरी हो सकती है. 

यादव ने कहा कि बुलेट ट्रेन जैसी बड़ी परियोजना में काम तब शुरू हो सकता है जब निश्चित मात्रा में जमीन उपलब्ध हो. उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अगले तीन से छह महीने में हम उस बिंदु पर पहुंच पाएंगे. डिजाइन तैयार है और हम आगे बढ़ने वाले हैं. यह सच है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण निविदा और भूमि अधिग्रहण में कुछ देरी हुई है लेकिन मैं कह सकता हूं कि परियोजना में अच्छी प्रगति हुई है.’’

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने आगे कहा, ‘‘कोविड-19 की स्थिति सुधरने पर हम निविदा प्रक्रिया शुरू करेंगे और अगले तीन से छह महीने में जमीन अधिग्रहण का काम कर पाएंगे. इसके बाद हम परियोजना के पूरा होने की वास्तविक समय सीमा प्रदान कर पाएंगे.’’

बुलेट ट्रेन परियोजना में विलं हो सकता है 

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के समय पर पूरा होने में विलंब हो सकता है क्योंकि महामारी के चलते भूमि अधिग्रहण के काम में देरी हो रही है. इस परियोजना का काम दिसंबर 2023 में पूरा होना प्रस्तावित है.

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन परियोजना के लिए आवश्यक भूमि में से 63 प्रतिशत का अधिग्रहण कर चुकी है. इसमें से 77 प्रतिशत जमीन गुजरात में, 80 प्रतिशत दादरा एवं नागर हवेली में और 22 प्रतिशत जमीन महाराष्ट्र में है.

अधिकारियों ने बताया कि महाराष्ट्र के पालघर और गुजरात के नवसारी जैसे इलाकों में अभी भी भूमि अधिग्रहण में कुछ दिक्कतें आ रही हैं. अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल कंपनी ने लोक निर्माण की नौ निविदाएं आमंत्रित की थीं, लेकिन इन्हें कोरोना वायरस महामारी के कारण खोला नहीं जा सका.

कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने कहा, ‘‘कोविड के कारण हमें कुछ निविदाओं को खोलना स्थगित करना पड़ा. अभी परियोजना पर महामारी के प्रभाव का आकलन करना मुश्किल है क्योंकि यह (महामारी) अभी चल रही है. हम अभी यह नहीं कह सकते हैं कि महामारी परियोजना को कैसे प्रभावित करेगी क्योंकि मुझे नहीं पता है कि यह कब तक चलेगी.’’

कॉरपोरेशन के प्रवक्ता ने आधिकारिक तौर पर कहा कि परियोजना की समय-सीमा भी 2023 ही है. सिविल निर्माण ठेकों में से एक स्टेशनों, पुलों, मरम्मत डिपो और पूरे बुलेट ट्रेन नेटवर्क पर सुरंगों के निर्माण आदि से जुड़ा है जो 20,000 करोड़ रुपये का है. ट्रेन की 508 किलोमीटर लाइन में से 345 किलोमीटर के निर्माण (करीब 68 प्रतिशत) के लिए टेंडर दिए जा चुके हैं.