अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने मंगलवार को यहां टू प्लस टू रणनीतिक बातचीत के तीसरे संस्करण के बाद कहा कि अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता की सुरक्षा के भारत के प्रयासों में अमेरिका उसके साथ खड़ा है. यह बातचीत मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख, हिंद-प्रशांत और दुनिया के अन्य हिस्सों में चीन के आक्रामक सैन्य व्यवहार से निपटने पर केंद्रित थी.

चीन की कटु आलोचना करते हुए पॉम्पियो ने चीनी सेना के साथ पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में संघर्ष में भारतीय सैन्य कर्मियों के मारे जाने का उल्लेख किया और कहा कि अमेरिका और भारत न सिर्फ सीसीपी द्वारा उत्पन्न बल्कि सभी तरह के खतरों से निपटने के लिये सहयोग बढ़ाने के लिये कदम उठा रहे हैं.

दोनों देशों ने काफी समय तक बातचीत के बाद ‘बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट’ (BECA) समेत कुल पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किये.

BECA के तहत अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, उपग्रह के गोपनीय डाटा और दोनों देशों की सेनाओं के बीच अहम सूचना साझा करने की अनुमति होगी.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि बातचीत का एक अहम मुद्दा दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में चीन का “विस्तारवादी व्यवहार” और पूर्वी लद्दाख में उसकी सैन्य आक्रामकता रहा. एक बड़ा संदेश यह था कि भारत और अमेरिका दोनों क्षेत्र और उससे इतर सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये दृढ़ता से साथ हैं.

भारतीय समकक्ष एस जयशंकर,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क टी एस्पर के साथ संयुक्त प्रेस ब्रीफिंग में पॉम्पियो ने कहा, “भारत के लोग जब अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता पर खतरे का सामना करते हैं तो अमेरिका उनके साथ खड़ा होगा.”

पॉम्पियो ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यात्रा के दौरान वे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सम्मान में बलिदान देने वाले शहीदों, जिनमें जून में गलवान घाटी में चीन की पीएलए द्वारा मारे गए 20 भारतीय सैन्यकर्मी भी शामिल हैं, को श्रद्धांजलि देने समर स्मारक भी गए. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका सभी चुनौतियों से निपटने के लिये अपने संब‍ंधों को और मजबूत कर रहे हैं.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी टिप्पणी में कहा कि दोनों पक्षों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति का साझा आकलन किया और क्षेत्र के सभी देशों के लिये शांति, स्थिरता और समृद्धता की प्रतिबद्धता जाहिर की.

सिंह ने कहा, “हमनें नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बरकरार रखने, अंतरराष्ट्रीय समुद्र में कानून के शासन और नौवहन की स्वतंत्रता पर सहमति जताई और सभी राष्ट्रों की क्षेत्रीय अक्षुण्ता और संप्रभुता बरकारर रखने पर भी प्रतिबद्धता जाहिर की.”

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि बातचीत में हिंद प्रशांत क्षेत्र पर “खास तौर पर हमारा ध्यान था” और “बहु ध्रुवीय दुनिया का आधार निश्चित रूप से बहु ध्रुवीय एशिया होना चहिए”. इस बयान को भारतीय स्थिति के स्पष्ट प्रतिरूप के तौर पर देखा जा रहा है कि चीन का प्रभुत्व उसे स्वीकार नहीं है.

जयशंकर ने कहा, “हमनें क्षेत्र के सभी देशों के लिये शांति, स्थिरता और समृद्धता के महत्व पर जोर दिया. जैसा रक्षा मंत्री ने कहा, यह तभी संभव है जब नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बरकररार हो, अंतरराष्ट्रीय समुद्र में नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो, खुला संपर्क हो तथा सभी राष्ट्रों की क्षेत्रीय अक्षुण्ता व संप्रभुता का सम्मान किया जाए.”

अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा कि अमेरिका सभी के लिये खुले व स्वतंत्र हिंद-प्रशांत के समर्थन में “कंधे से कंधा मिलाकर” खड़ा है खासतौर पर चीन की बढ़ती आक्रामक और अस्थिरता वाली गतिविधियों के मद्देनजर. उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय रक्षा सहयोग लगातार बढ़ रहा है.

विदेश मंत्री ने कहा कि चर्चा में भारत के पड़ोसी देशों के घटनाक्रम भी शामिल रहे.

उन्होंने कहा, “हमनें स्पष्ट किया की सीमा-पार से आतंकवाद पूरी तरह से अस्वीकार्य है. अफगानिस्तान में उसकी सुरक्षा और विकास में भारत का योगदान स्पष्ट है जो इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में हमारे योगदान की इच्छा को परिलक्षित करता है.”

रणनीतिक संबंधों के विस्तार के लिए महत्वपूर्ण ‘बीईसीए’ पर दस्तखत के साथ ही दोनों देशों के बीच चार महत्वपूर्ण करार को अंतिम रूप दे दिया गया .

दोनों देशों ने जनरल सिक्युरिटी ऑफ मिलिट्री इनफॉर्मेशन एग्रीमेंट (जीएसओएमआईए) पर 2002 में दस्तखत किए थे.

रक्षा समझौता और प्रौद्योगिकी साझा करने के संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत अमेरिका ने 2016 में भारत को ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ का दर्जा दिया था. दोनों देशों ने 2016 में ‘लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’ किया था.

भारत और अमेरिका ने 2018 में एक और महत्वपूर्ण करार किया था जिसे ‘कोमकासा’ कहा जाता है .

बीईसीए के बारे में अधिकारियों ने कहा कि समझौते से भारत की गोपनीय भूस्थैतिक डाटा के साथ ही अन्य सैन्य अनुप्रयोगों के संबंध में सूचनाओं तक पहुंच होगी .