सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को 2017 में अदालत की अवमानना का दोषी ठहराए जाने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका सोमवार को खारिज कर दी.

माल्या ने शीर्ष अदालत के नौ मई 2017 के उस आदेश पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर की थी, जिसमें उसे न्यायिक आदेशों को दरकिनार कर अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ अमेरिकी डॉलर हस्तांतरित करने पर अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया था.

न्यायमूर्ति उदय यू. ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘ हमें इस पर पुनर्विचार करने का कोई आधार नजर नहीं आता. पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है. ’’

शीर्ष अदालत ने 27 अगस्त को पुनर्विचार याचिका पर दोनों पक्षों को सुना था. न्यायलाय ने कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा.

नौ हजार करोड़ रुपये से अधिक के बैंक कर्ज धोखाधड़ी मामले में आरोपी माल्या फिलहाल ब्रिटेन में है.

शीर्ष अदालत ने 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह की याचिका पर यह फैसला सुनाया था जिसमें कहा गया था कि माल्या ने कथित रूप से विभिन्न न्यायिक आदेशों का ”खुलेआम उल्लंघन” कर ब्रिटिश कंपनी डियाजियो से प्राप्त चार करोड़ अमेरिकी डॉलर अपने बच्चों के खातों में हस्तांतरित किये थे.