कोरोना महामारी में कई लोगों की नौकरी चली गई और उन्हे घर रहने पर मजबूर होना पड़ा है जिस कारण बेरोजगारी भी बहुत तेजी से बढ़ती गई है. जिसका असर सीधे आम जनता और आम जिंदगी पर पड़ा है. ऐसे में सबसे बड़ी समस्या यह है कि कम बजट में ऐसा कौन सा काम किया जाए जिससे अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं.

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसी ही खेती के बारे में बताने जा रहे हैं जिस पर आप कम पैसे में अधिक पैसा कम पैसा निवेश कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. खजूर एक ऐसा फल है जो जमीन से काफी ऊपर लगता है. इसकी खेती को आसानी से कम बजट में शुरू किया जा सकता है इसमें मेहनत कम लगती है चलिए जानते हैं पूरी जानकारी.

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खजूर की खेती

खजूरी एक ऐसा फल है जो जमीन से काफी ऊपर लगता है. आमतौर पर इसकी खेती रेगिस्तानी इलाकों में की जाती है लेकिन अगर आप चाहे तो इसे अपने आसपास के खेतों में भीइसकी खेती कर सकते हैं. खजूर की खेती के प्रत्येक पेड़ से आप 50 हजार तक की कमाई कर सकते हैं.

कम बजट में लगा सकते हैं खजूर के पौधे

खजूर की खेती करने पर बहुत ज्यादा खर्च नहीं होता है. 1 एकड़ के क्षेत्र में खजूर के तकरीबन 75 पौधे लगाए जा सकते हैं. इसके एक पेड़ में 70 से 100 किलो तक की पैदावार हो सकती है. ऐसे में आप 1 एकड़ के खेत में एक बार में 5 हजार किलो खजूर का उत्पादन कर सकते हैं. बाजार में क्वालिटी के हिसाब से खजूर काफी महंगे दामों पर बिकते हैं. आप खजूर के एक सीजन में करीब 2 से 3 लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं.

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खजूर की खेती के लिए आवश्यक मिट्टी

खजूर के पौधे लगाने के लिए रेतीली या भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है. इसकी खेती शुरू करने के पहले खेत की मिट्टी पलटने वाले हैरो से गहरी जुताई कर देनी चाहिए. फिर खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें. इसके बाद कल्टीवेटर के जरिए दो से तीन बार जुताई करवा दें .ऐसा करने से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी. फिर खेत को समतल कर उस पर गोबर की खाद डाल दें. ऐसा करने से खजूर के लिए उपयुक्त खेत तैयार किया जा सकता है.

महीने में केवल दो बार सिंचाई की जरूरत

खजूर के पौधे को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है. रेगिस्तान या भुरभुरी मिट्टी में लगाने के कारण इसमें सिंचाई कम की जाती है. जितना ज्यादा गर्मी पड़ती है खजूर का पौधा उतनी तेजी से आगे बढ़ता है. खजूर के फलों को पकाने के लिए 45 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. खजूर के पौधे की रोपाई के लिए अगस्त का महीना बेहतर माना जाता है. रोपाई के 3 वर्ष बाद पौधा पैदावार देने के लिए तैयार हो जाता है. इस पौधे को गर्मियों में 15 दिन और सर्दी में 1 महीने में सिंचाई की जरूरत पड़ती है.

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