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सोते समय क्यों नहीं आती छींक? जानें इसके पीछे का दिमाग चकरा देने वाला कारण

आपने देखा होगा की आमतौर पर 1 दिन में 4-5 छींक आना कोई बड़ी बात नहीं होती लेकिन इससे अधिक छींक आना ठीक नहीं है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि हमें रात में छींक नहीं आती. आखिर ऐसा क्यों होता है.

Written by:Hema
Published: October 05, 2022 11:44:35 New Delhi, Delhi, India

छींक (Sneezing) आना कोई बड़ी समस्या नहीं है,शायद ही कोई ऐसा हो जिसे छींक न आती हो. आमतौर पर एक दिन में 3 से 4 छींक आना नॉर्मल सी बात है लेकिन इससे अधिक छींक आना एक समस्या हो सकती है. वैसे छींक आना अच्छी बात है इसे हमारी नाक के अंदर से कीटाणु, डस्ट, और केमिकल्स बाहर निकल जाते हैं. लेकिन आपने कभी नोटिस किया है कि सोते समय हमें छींक क्यों नहीं आती. आइए आज हम आपको इस सवाल का जवाब अपने इस लेख में देते हैं.

नींद में क्यों नहीं आती छींक

हमारा शरीर छींक को दो तरीकों से रोकता है, जो इस बात पर निर्भर करता है है कि हम नींद के किस चरण में हैं.

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नींद को दो चरणों में विभाजित किया गया है, 1 नॉन रैपिड आई मूवमेंट स्लीप (NREM) यानी नींद का शुरुआती चरण और रैपिड आई मूवमेंट (REM) स्लीप, यह नींद का वो चरण जहां आप गहरी नींद के आगोश में खोये होते हैं और सपनों की दुनिया में घूम रहे होते हैं.

NERM  स्लीप में क्या होता है?

NERM  स्लीप के तीन स्टेप होते हैं-

स्टेप 1 – नींद के इस चरण को सबसे हल्का माना जाता है जो 5 मिनट तक रहती है.

स्टेप 2- ये नींद का दूसरा चरण है जिसमें आपका हार्ट रेट और शरीर का तापमान कम होने लगता है. इसमें नींद का समय 25 मिनट तक का हो सकता है.

स्टेप 3- स्टेप 3 को नींद की सबसे गहरी स्टेज माना जाता है. इस समय व्यक्ति बहुत गहरी नींद में सोता है और दौरान उसे जगाना काफी मुश्किल होता है. यदि इस अवस्था में यदि स्वयं न जगते हुए अन्य कोई जगाता है तो घबराहट सी फ़ील होती है.

NREM स्लीप के दौरान, आपके शरीर का रिफेक्स सिस्टम काम करता रहता है, लेकिन यह इस दौरान काफी कम सेंसिटिव होता है. यही कारण है कि कभी-कभी आप तेज शोर में भी गहरी नींद में सो जाते हैं.

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इसलिए जब आप अपनी नींद के पहले चरण में है तो आपको छींक आने के चांस हो सकते हैं लेकिन गहरी नींद में आपको कभी नींद नहीं आ सकती.

REM  स्लीप में क्या होता है?

Rem  स्लीप वो नींद होती है जिसमें आप गहरी नींद के आगोश में होते हैं और सपनों की दुनिया में कहीं खोये होते हैं. जब आप सपने देख रहे होते हैं तो उस समय मोटर एटोनिया नाम की एक स्थिति आपके शरीर को पैरालाइज्ड कर देती है.  छींकने के लिए कई मांसपेशियों के तालमेल की जरूरत होती है लेकिन मोटर एटोनिया की अवस्था में आपकी मांसपेशियां काम नहीं करती हैं इसलिए REM  स्लीप के दौरान आपको छींक आने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

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रात में छींक आने के क्या हैं कारण

-जब नाक में धूल-मिट्टी के कण घूस जाते हैं तो आपको  रात में छींक आती है. इसके पीछे के दो कारण हो सकते हैं.

1. लेटने की अवस्था में नाक के रास्ते में ब्लड का फ्लो बढ़ जाना. जिसकी वजह से म्यूक्स बनता है और छींक आने के चांस बढ़ जाते हैं.

2. यदि आप एलर्जी वाली जगह पर सो रहे हैं तो भी आपको छींक आने के चांस बढ़ जाते हैं. जैसे-

-जानवरों से एलर्जी होने पर

-धूल से एलर्जी

-फूलों से एलर्जी

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कैसे बचें रात में छींक से

-रात में सोने से पहले अपने कमरे की खिड़की और दरवाजे बंद कर लें. खासकर जब तब आपके आस-पास एलर्जी की वजह हो.

 -हफ्ते में एक 1 या 2 बार अपनी बेडशीट जरूर बदलें.

– अगर आपको किसी जानवर से एलर्जी है तो उस अपने बिस्तर से दूर रखें.

-सफाई का खास ख्याल रखें.

-यदि आप सोने से पहले नहाते हैं तो आपके लिए बेहद अच्छा है इससे सारे कीटाणु मर जाते हैं और आप चैन की नींद सोते हैं.

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