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3 years ago .Lucknow, Uttar Pradesh, India

UP: ब्लॉक प्रमुख चुनाव में जन और दल नहीं, सारा धनबल का खेल!

राज्य चुनाव आयोग ने ऐलान किया है कि यूपी में ब्लॉक प्रमुख के लिए 8 जुलाई को नामांकन और 10 जुलाई को मतदान व गिनती होनी है.

Written by:Akashdeep
Published: July 06, 2021 02:19:45 Lucknow, Uttar Pradesh, India

उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव संपन्न होने के बाद अब ब्लॉक प्रमुख के चुनावों की तारीख घोषित कर दी गई है. राज्य चुनाव आयोग ने ऐलान किया है कि यूपी में ब्लॉक प्रमुख के लिए 8 जुलाई को नामांकन और 10 जुलाई को मतदान व गिनती होनी है. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 75 में से 67 सीट जीतने के बाद बीजेपी को ब्लॉक प्रमुखी के चुनाव में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. बता दें कि 825 ब्लॉक प्रमुखों के लिए चुनाव होने हैं. 

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ब्लॉक प्रमुख चुनाव की तारीख और समय 

मतदान 10 जुलाई को 11 से तीन बजे तक और फिर तीन बजे से मतगणना कराकर नतीजे उसी दिन घोषित कर दिए जाएंगे. नामांकन 8 जुलाई को सुबह 11 से तीन बजे तक होगा. उसी दिन तीन बजे से नामांकन पत्रों की जांच होगी. 9 जुलाई को सुबह 11 बजे से 3 बजे तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकते हैं. 

ब्लॉक प्रमुख का चुनाव कैसे होता है

ब्लॉक प्रमुख या क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीडीसी यानी क्षेत्र पंचायत सदस्य मतदान करते हैं. एक ब्लॉक के अंदर कई बीडीसी चुन कर आते हैं और ये सभी वोट कर ब्लॉक प्रमुख का चुनाव करते हैं. ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ने के लिए बीडीसी का चुनाव जीतना अनिवार्य है. बीडीसी ही ब्लॉक प्रमुख बन सकता है, बीडीसी का चुनाव जनता के मत से ही होता है. बता दें कि प्रदेश में ब्लाक प्रमुख के 826 पद हैं. राज्य में क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) सदस्य के 75,255 पद हैं. 

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चुनाव में होता है धनबल का खेल 

ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में मतदान बीडीसी करते हैं और वह सीमित संख्या में होते हैं. ऐसे में इन सदस्यों को धनबल और सत्ता बल के सहारे अपने पाले में जोड़ना आम बात है. बीडीसी चुने जाने के बाद से ही ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशी जोड़-तोड़ में लग जाते हैं. क्षेत्र पंचायत सदस्यों को दावत पर बुलाया जाता है, कैश, बाइक और गाड़ी का ऑफर दिया जाता है और यहां तक कि बीडीसी सदस्यों को अपने पाले में जोड़ने के बाद उन्हें कहीं घूमने भेज दिया जाता है और सीधे मतदान के समय बुलाया जाता है. 

ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां क्षेत्र पंचायत सदस्यों के फोन जब्त कर लिए जाते हैं, जिससे दूसरे प्रत्याशी उन्हें उससे बेहतर ऑफर न दे सकें. सत्ता पक्ष का भी फर्क पड़ता है, सत्ता पक्ष के प्रत्याशी को शासन से भी मदद मिलती है.    

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