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2 years ago .New Delhi, Delhi, India

Indian Railways: ट्रेन के बीच में ही क्यों लगते हैं AC कोच? आज जान लीजिए इसके पीछे का राज

  • इंडियन रेलवे रोजाना अनेक लोगों को मंजिल तक पहुंचाती है.
  • रेल मे डिब्बो की कंपोजीशन सोच समझकर की गई है.
  • डिब्बो की कंपोजीशन से भीड़ प्रबंधन में सहायता मिलती है. 

Written by:Vishal
Published: November 21, 2021 05:06:36 New Delhi, Delhi, India

Indian Railways: ट्रेनों में कोच का कंपोजिशन आपको लगभग हर ट्रेन में एक जैसा ही मिलेगा. सबसे पहले इंजन, उसके बाद गार्ड का डिब्बा या ब्रेक वान. फिर जनरल डिब्बे, उसके बाद स्लीपर डिब्बे और उसके बाद एसी डब्बे. एसी डब्बे के बगल में फिर से स्लीपर डिब्बे और जनरल डिब्बे और सबसे आखिरी में गार्ड का डिब्बा. अपने इस लेख में आपको बताएंगे कि इन्हें ऐसे लगाने के पीछे का कारण क्या है.

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सुरक्षा के लिहाज से है उचित

रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं की ट्रेन में कोच का क्रम सुरक्षा और यात्रियों की सुगमता को ध्यान में रखते हुए ही बनाया गया है. यह अंग्रेजी राज से ही चला आ रहा है. पहले भी अपर क्लास के कोच, लेडीज कंपार्टमेंट आदि ट्रेन के बीच में ही होते थे. वही इंजन के एकदम पास लगेज कोच और निचले दर्जे के डिब्बे लगाए जाते हैं. इंजन के पास वाले कोच में बीच वाले कोचों के मुकाबले ज्यादा झटके महसूस होते हैं.

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अपर क्लास के यात्रियों को ज्यादा न चलना पड़े

रेलवे स्टेशन पर एंट्री और एग्जिट गेट स्टेशन के बीचो-बीच बनाए जाते हैं. क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? ऐसा इसलिए होता है ताकि अपर क्लास के पैसेंजर को स्टेशन में एंट्री करते ही ट्रेन में चढ़ने का मौका मिल जाए. इसी तरह जब वे ट्रेन से उतरते हैं तो उनको सामने एग्जिट गेट नजर आता है. ऐसा मानकर चला जाता है कि अपर क्लास में ट्रैवल करने वालों का वक्त बहुत कीमती होता है. इसलिए ऐसी व्यवस्था उनके लिए रखी गई है.

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भीड़ भी बट जाती है

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर ट्रेनों में जनरल डिब्बों और स्लीपर डिब्बों में अधिक पैसेंजर सवारी करते हैं. उनके मुकाबले एसी डिब्बे में कम पैसेंजर यात्रा करते हैं. जब एसी और स्लीपर डिब्बे को ट्रेन में अलग-अलग जगह प्लेसमेंट होगा तो उन में चढ़ने वाले यात्रियों की संख्या भी बट जाएगी. इससे रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन को भीड़ का प्रबंधन करने में सहायता मिलती है.

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इंजन के शोर की परेशानी से निजात

रेलवे में अपर क्लास के डिब्बों को बीच में लगाने का चलन उस समय शुरू हुआ जब भारत में स्टीम इंजन का बहुत बोलबाला था. उसके बाद डीजल के इंजन आए. इन दोनों इंजनों में बहुत शोर होता था. जब ट्रेन शुरू होती थी तो बहुत ही ज्यादा शोर करती थी. अपर क्लास के पैसेंजर को ट्रेन का शोर कम सुनाई दे इसलिए उनका डिब्बा इंजन से दूर लगाया जाता है. हालांकि, आज के समय में ज्यादातर इलेक्ट्रिक इंजन चल रहे हैं जिनके चलने पर कम शोर ही आता है.

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