क्या भारतीय फैक्ट-चेकर प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद ज़ुबैर को Nobel Peace Prize मिलने वाला है?
फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर और प्रतीक सिन्हा (Mohammad Zubair and Pratik Sinha) 2022 का नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2022) जीतने के दावेदारों में शामिल हैं. टाइम पत्रिका की वेबसाइट के अनुसार, इस बार नोबेल शांति पुरस्कार जीतने की रेस में भारत से फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद ज़ुबैर का नाम शामिल है. नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता की घोषणा शुक्रवार (7 अक्टूबर) को नॉर्वे के ओस्लो में 11 बजे की जाएगी. विजेता का चयन पांच सदस्यीय नॉर्वेइयन नोबेल कमेटी करती है. इस कमेटी को नॉर्वे की संसद नियुक्त करती है.
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मोहम्मद जुबैर को इस साल जून में 2018 के एक ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस की FIR के अनुसार जुबैर का ये ट्वीट ‘अत्यधिक उत्तेजक और घृणा की भावनाओं को भड़काने वाला’ था. दिल्ली पुलिस ने उन पर धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए जानबूझकर काम करने का आरोप लगाया था.
Reuters के एक सर्वे के मुताबिक, नॉर्वे के सांसदों ने प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद ज़ुबैर के अलावा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की, बेलारूस की विपक्षी नेता स्वियातलाना सिखानौस्काया, ब्रिटिश नेचर ब्रॉडकास्टर डेविड एटनबरो, विश्व स्वास्थ्य संगठन, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, पोप फ्रांसिस, तुवालु के विदेश मंत्री साइमन कोफे और म्यांमार की नेशनल यूनिटी सरकार को नामित किया है.
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साल 1901 में नोबल फाउंडेशन (Nobel Foundation) की ओर से इस पुरस्कार की शुरुआत हुई. स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में इस पुरस्कार को दिया जाता है. इसमें उन लोगों को सम्मान दिया जाता है जिन्होंने पिछले साल में मानव जाति को सबसे बड़ा फायदा पहुंचाया हो.
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इस पुरस्कार को शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र क्षेत्र में दुनिया का सर्वोच्च पुरस्कार कहते हैं. इस पुरस्कार में सम्मानित किए गए व्यक्ति को स्वर्ण पदक, एक डिप्लोमा और एक मौद्रिक पुरस्कार में दिया जाता है.
21 अक्टूबर, 1833 में स्वीडन के स्टॉकहोल्म में जन्में अल्फ्रेड नोबेल एक वैज्ञानिक थे. इन्होंने लगभग 355 अविष्कार किए थे जिसमें डायनामाइट भी शामिल है. दिसंबर, 1896 में इनकी मृत्यु हुई और इन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा ट्रस्ट के तौर पर रखा था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी आखिरी इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिसका काम मानव जाति के लिए बहुत ज्यादा कल्याणकारी हो.
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स्वीडन के बैंक में जमा इसी राशि के ब्याज से नोबेल फाउंडेशन बना. 29 जून, 1900 को नोबल फाउंडेशन की स्थापना हुई और इसमें 5 लोगों की टीम भी है जिसका मुखिया स्वीडन की किंग ऑफ काउंसिल की ओर से तय किये जाते हैं. बाकी 4 लोग पुरस्करा वितरक संस्थान के ट्रस्टीज की ओर से तय किए जाते हैं.
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