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Monkeypox Virus: मंकीपॉक्स ने 12 देशों में दी दस्तक, WHO ने दी ये चेतावनी

कोरोनावायरस के दौरान कुछ देशों में मंकीपॉक्स का कहर फैलना शुरू हो गया है. ये वायरस संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलता है. ऐसे में डब्लूएचओ ने चेतावनी जारी की है.

Written by:Kaushik
Published: May 23, 2022 11:37:37 New Delhi, Delhi, India

कोरोनावायरस (Coronavirus) के दौरान कुछ देशों में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का कहर फैलना शुरू हो गया है. ये वायरस संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलता है. इस वायरस के मामले दुनियाभर के देशों में देखने को मिल रहे हैं. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक दुनियाभर में मंकीपॉक्स के 92 मरीज मिल चुके हैं. ये मामले ऑस्ट्रेलिया, यूके, उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देश समेत 12 देशों में मिले हैं.

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ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने चेतावनी जारी की है. डब्लूएचओ ने कहा, “जिन देशों में इस संक्रमण ने दस्तक नहीं दी है. वहां मंकीपॉक्स के और ज्यादा मामले सामने आ सकते हैं. यह संक्रमण उन लोगों में फैल रहा है, जो किन्हीं वजह से फिजिकल कॉन्टैक्ट में आए हैं. 

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आजतक के लेख के अनुसार, डब्ल्यूएचओ के ऑफिसर डेविड हेमैन (David Heymann) ने कहा, “ऐसा लग रहा है कि मंकीपॉक्स इंसानों में सेक्स के माध्यम से अधिक फैल रहा है और इस वजह से दुनियाभर में इसके मामले बढ़ रहे हैं. डब्लूएचओ के मुताबिक, साउथ अफ्रीकन देशों में प्रत्येक वर्ष मंकीपॉक्स से हजारों लोग संक्रमित होते हैं.

क्या है मंकीपॉक्स?

1. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, पहली बार ये बीमारी 1958 में सामने आई थी. उस समय रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में ये संक्रमण पाया गया था इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स (Monkeypox) रखा गया था. इन बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण दिखाई दिए थे.

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2. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इंसानों में मंकीपॉक्स (Monkeypox) का पहला मामला साल 1970 में सामने आया था. उस समय काॅन्गो के रहने वाले एक 9 साल के बच्चे में ये संक्रमण पाया गया था. 1970 के बाद 11 अफ्रीकी देशों में इंसानों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के मामले सामने आए थे.

3. दुनियाभर में मंकीपॉक्स का संक्रमण अफ्रीका से फैला है. साल 2003 में अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे. उसके बाद सितंबर 2018 में इजरायल और ब्रिटेन में भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे. मई 2019 में सिंगापुर में भी मंकीपॉक्स के मामले सामने आए थे. यात्री नाइजीरिया की यात्रा कर लौटे थे.

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जानिए मंकीपॉक्स फैलता कैसे हैं

1. मंकीपॉक्स किसी संक्रमित जानवर के खून, उसके शरीर का पसीना या कोई और तरल पदार्थ या उसके घावों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है.

2. अफ्रीका में गिलहरियों और चूहों के भी संक्रमित होने के सबूत मिले हैं. अधपका मांस या संक्रमित जानवर के दूसरे पशु उत्पादों को खाने से भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

3. इंसान से इंसान में ये वायरस फैलने के मामले अब तक बहुत ही कम आए हैं. हालांकि संक्रमित इंसान को छूने या उसके संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है. इसके अलावा प्लेसेंटा के जरिए मां से भ्रूण जानी जन्मजात मंकीपॉक्स भी हो सकता है.

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मंकीपॉक्स के लक्षणों के बारे में जानें

1. मंकीपॉक्स वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड 6 से 13 दिन तक का होता है. कई बार ये 15 से 21 दिन का भी हो सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें इंक्यूबेशन पीरियड का मतलब होता है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे.

2. मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के 5 दिन के अंदर व्यक्ति में बुखार, तेज सिर दर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण नजर आते हैं. बता दें कि मंकीपॉक्स शुरुआत में चिकन पॉक्स, खसरा या चेचक जैसा दिखता है.

3. बुखार होने के एक से तीन दिन बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू हो जाता है. शरीर पर लाल दाने निकलने लगते हैं. हाथ-पैर, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये दाने घाव जैसे दिखते हैं और खुद सूख कर गिर जाते हैं.

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जानें कितनी खतरनाक है ये बीमारी

1. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मंकीपॉक्स से संक्रमित हर दसवें व्यक्ति की मौत हो सकती है. मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के 2 से 4 हफ्ते बाद लक्षण धीरे-धीरे अपने आप खत्म हो जाते हैं.

2. छोटे बच्चों में मंकीपॉक्स गंभीर रूप धारण कर सकता है. हालांकि कई बार ये मरीज के स्वास्थ्य और उसकी जटिलताओं पर भी निर्भर करता है.

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3. जंगल के आसपास रहने वाले लोगों में मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा रहता है. ऐसे लोगों में एसिंप्टोमैटिक संक्रमण भी हो सकता है.

4. चेचक के खत्म होने के बाद इस बीमारी का वैक्सीनेशन भी बंद हो गया है इसलिए 40 से 50 की उम्र के लोगों में मंकीपॉक्स का खतरा ज्यादा रहता है.

(नोट: ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए अपने डॉक्टरों से सलाह जरूर लें.)

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